भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार कृषि के साथ-साथ कुछ छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा देने में जुटी है. जिससे किसान भाई आसानी से अपनी आजीविका चला सकें और खेती के साथ-साथ अन्य स्रोतों से भी पैसा कमा सकें. इन छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है. जिससे किसान भाइयों को इन्हें लगाने में मदद मिलती है. इन लघु उद्योगों में मछली पालन उद्योग भी शामिल है. जो इस समय किसानों के बीच काफी मशहूर हो रहा है. ऐसे में जरूरी है की किसानों के पास इस बात की जानकारी हो कि कौन सी मछली पाले और वजन बढ़ाने के लिए मछलियों को आहार क्या दें.
इस समय बाजार में मछली की मांग बहुत ज्यादा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए इन्हें बेचने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा मछली पालन उद्योग शुरू करने के लिए ज्यादा पूंजी की भी आवश्यकता नहीं होती है. मछली जो खाने में स्वादिष्ट हो. साथ ही जिसका जीरा (मछली का बीज) आसानी से मिल जाता हो. साथ ही जिसकी बाजार में मांग अधिक हो वो अधिक लाभकारी होगा. जिनकी तालाब में ग्रोथ अच्छी होती है. आपको बता दें तालाब के लिए उपयुक्त मछलियां रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प (पहाड़ी) हैं. इनकी मांग बाजार में अच्छी है और ये खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं. इसके साथ ही सिल्वर कार्प को भी पाला जा सकता है. यदि तालाब में प्राकृतिक रूप से घास उपलब्ध हो तो कार्प भी पालें.
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मछली का प्राकृतिक आहार प्लवक (छोटे जलीय जीव) हैं जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता. तालाब के पानी का रंग देखकर पता चल जाता है कि मछली का प्राकृतिक आहार पर्याप्त है या नहीं. यदि पानी का रंग भूरा है तो प्राकृतिक भोजन उचित मात्रा में मौजूद है. इसे देखने के लिए किसी कांच के बर्तन (गिलास या बोतल) में पानी भरें और ध्यान से देखें, ऐसे ही कई छोटे-छोटे जीव दिखाई देंगे. ये प्लवक दो प्रकार के होते हैं. यदि वे पशु समूह से संबंधित हैं तो उन्हें चिड़ियाघर-प्लवक कहा जाता है और यदि वे पौधे समूह से संबंधित हैं तो उन्हें फाइटोप्लांकटन कहा जाता है. मछलियों के लिए प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता जांचने के लिए (प्लैंक्टन नेट के माध्यम से) 50/100 ली. तालाब के अलग-अलग हिस्सों से पानी लेकर उसे छान लें. पानी जाल से बाहर निकल जाएगा लेकिन प्लवक कांच की नली में जमा हो जाएगा. इस कांच की नली में 2-4 दाने नमक के डाल दीजिये. सारे प्लवक मर जायेंगे. यदि बैठने के बाद इनकी मात्रा लगभग एक मि.ली. यदि ऐसा है तो तालाब में पर्याप्त प्लवक है अन्यथा उचित व्यवस्था की जानी चाहिए.
मछलियों के समुचित विकास के लिए प्राकृतिक आहार के साथ-साथ पूरक आहार भी देना चाहिए. यदि तालाब में प्राकृतिक चारे की मात्रा संतोषजनक नहीं है तो उर्वरक डालें और पूरक आहार की मात्रा बढ़ा दें.
चावल की खली और सरसों की खली को 1:1 यानि आधा-आधा के अनुपात में मिला लें और दें. (सरसों के छिलके की जगह मूंगफली के छिलके भी दे सकते हैं) सुबह और शाम को निश्चित समय और स्थान पर ही खाना खिलाएं. इसके साथ ही भोजन में एक प्रतिशत की दर से खनिज मिश्रण भी देना चाहिए. भोजन को एक बोरे में रखें, उसमें छेद करें और तालाब में लटका दें. इसके लिए प्लास्टिक की बोरी का प्रयोग करें. खाना ख़त्म होते ही बोरी हल्की हो जाने के कारण अपने आप ऊपर उठ जायेगी. एक एकड़ के तालाब में इसी प्रकार तीन से चार स्थानों पर भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए.
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