
Kadaknath Story: राजधानी लखनऊ में सावन महीना खत्म होने के बाद लोग नॉनवेज खाने पर टूट पड़े है. बाजारों में मीट, मछली और मांस की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है. लेकिन इन सबसे बीच नॉनवेज खाने वालों में सबसे ज्यादा देसी और कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड है. किसान तक की टीम ने लखनऊ के कुछ मांस-मछली की दुकानों पर पहुंची, जहां दुकानदारों ने बातचीत में बताया कि लोग आजकल देसी और कड़कनाथ मुर्गा ज्यादा खरीद रहे है. टेढ़ी पुलिया स्थित समी चिकन व मटन सेंटर के मालिक मोहम्मद रेहान ने बताया कि लोग अब कड़कनाथ मुर्गा खरीद रहे है. इसकी डिमांड गर्मी से सर्दी तक रहती है, लेकिन सावन महीना खत्म होने के बाद ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई.
रेहान ने बताया कि एक कड़कनाथ की कीमत 1200 रुपये हैं, और वजन 1100-1200 ग्राम के करीब होता है. उन्होंने बताया कि एक दिन में 9-10 पीस कड़कनाथ गुर्गा की बिक्री है. वहीं देसी मुर्गे की सेल पर रेहान ने बताया कि 500-600 रुपये के रेट से ग्राहक खूब खरीद रहे है. बीते दो दिनों में कड़कनाथ और देसी मुर्गा बहुत तेजी से बिक रहा है. उन्होंने आगे बताया कि नार्मल सफेद मुर्गा सेहत के लिए उतना सेहतमंद नहीं होता, जितना देसी और कड़कनाथ मुर्गा. यहीं वजह है कि अब लोग बदलते वक्त के साथ कड़कनाथ और देसी मुर्गा ज्यादा खा रहे है.
लखनऊ के खुर्रम नगर में थोक मीट-मछली की मंडी हैं, जहां फुटकर दुकानदार मुर्गा और मछली खरीदने आते है. हमारी मीट दुकानदार वासिद से मुलाकात हुई. वासिद बताते है कि देसी और कड़कनाथ मुर्गा की सेल बढ़ी है. उन्होंने बताया कि रोजाना 50-60 पीस कड़कनाथ मुर्गा बेच रहे है, वहीं देसी मुर्गा 80-100 पीस के करीब बिक जाता है. आपको बता दें कि लखनऊ में मीट, मछली और मांस की कई फुटकर और थोक मंडियां है. जहां से इनकी सप्लाई आसपास के जिलों में की जाती है.
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दरअसल, कड़कनाथ मुर्गा एक खास किस्म का मुर्गा है, जो केवल भारत में ही पाया जाता है और पिछले कुछ सालो में इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है. मूलरूप से ये मुर्गा मध्य प्रदेश के झाबुआ में मिलता है. वहीं, सामान्य मुर्गे के मुकाबले कड़कनाथ की कीमत काफी ज्यादा होती है. बाजार में इसकी कीमत 900 रुपये से लेकर 1500 रुपये प्रति किलो तक है. इस मुर्गे का मांस और हड्डियां दोनों ही अलग रंग की होती हैं. वहीं, कड़कनाथ मुर्गे का वजन लगभग 1.8 से लेकर 2 किलोग्राम तक होता है. कड़कनाथ मुर्गे की एक दुर्लभ प्राजाति काले रंग की होती है. सामान्य मुर्गों के मुकाबले ये काफी पौष्टिक, सेहतमंद, औषाधीय गुणों से भरपूर और स्वादिष्ट होता है.
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इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं. जहां सामान्य मुर्गे में प्रोटीन की मात्रा लगभग 18 से 20 फीसदी तक होती है, तो वहीं कड़कनाथ में 25 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है. कड़कनाथ मुर्गे की तीन प्रजातियां होती हैं, जिसमें जेट ब्लैक, गोल्डन ब्लैक और पेसिल्ड ब्लैक शामिल है. दशकों पहले कड़कनाथ को एमपी के झाबुआ और छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाले आदिवासी पालते थे.
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