मक्के का चारा Green Fodder Silage मौसम कोई भी हो लेकिन पशुपालकों की यही चिंता रहती है कि गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम न हो. जो दू रही हैं उसमे बढ़ोतरी कैसे हो. इसके लिए उनका पूरा ध्यान चारे पर रहता है. लेकिन चारा खिलाने का भी अपना एक तरीका है. कब, कौनसा और कितना चारा खिलाना है ये जानकारी होना जरूरी है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादा दूध लेने और दूध में अच्छी फैट के लिए पशुओं को तीन तरह की खुराक खिलानी होती है. इसमे हरे और सूखे चारे के साथ ही मिनरल मिक्चर (दाना) शामिल होता है. लेकिन खासतौर से सर्दियों के मौसम में दलहनी हरा चारा भरपूर मिलने के चलते पशुपालक पशुओं को सुबह-शाम सिर्फ हरा चारा ही खिलाते हैं.
जबकि एक्सपर्ट बताते हैं कि हरा चारा खिलाने की मात्रा तय है. हरा चारा दुधारू पशुओं के लिए जितना फायदेमंद होता है तो गलत तरीके से खिलाने पर उससे ज्यादा नुकसानदायक साबित होता है. खासतौर से सर्दियों में मिलने वाला दलहनी चारा. लेकिन सर्दियों में दलहनी चारे से साइलेज बनाकर इस परेशानी को काफी हद तक कम किया जा सकता है. लेकिन शर्त ये है कि दलहनी चारे का साइलेज भी एक्सपर्ट की सलाह के मुताबिक ही बनाया जाए.
फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि बेशक हम साइलेज और हे घर पर तैयार कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. इसलिए बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह और ट्रेनिंग के तैयार किए गए साइलेज-हे पशुओं को खिलाने की कोशिश ना करें. साइलेज बनाने के लिए सबसे पहले उस हरे चारे की कटाई सुबह के वक्त करें जिसका हम साइलेज बनाने जा रहे हैं. ऐसा करने से हमे दिन का वक्त उस चारे को सुखाने के लिए मिल जाएगा. क्योंकि साइलेज बनाने से पहले चारे के पत्तों को सुखाना जरूरी है. चारे को कभी भी जमीन पर सीधे ना सुखाएं. लोहे का कोई स्टैंड या जाली पर रखकर सुखाएं. चारे के छोटे-छोटे गठ्ठर बनाकर लटका कर भी चारे को सुखाया जा सकता है. क्योंकि जमीन पर चारा डालने से उसमे फंगस लगने के चांस ज्यादा रहते हैं. कुल मिलाकर करना ये है कि जब चारे में 15 से 18 फीसद नमी रह जाए तभी उसे साइलेज की प्रक्रिया में शामिल करें. और एक बात का खास ख्याल रखें कि किसी भी हाल में पशुओं को फंगस लगा चारा खाने में ना दें.
फोडर एक्सपर्ट की मानें तो साइलेज बनाने के लिए फसल का चुनाव करना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि साइलेज बनाने के दौरान सबसे बड़ी कोशिश यही होनी चाहिए कि चारे में फंगस नहीं लगे. इसके लिए करना ये चाहिए कि साइलेज बनाने के लिए हमेशा पतले तने वाली चारे की फसल का चुनाव करें. फसल को पकने से पहले ही काट लें. फसल के तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. उसके बाद उन्हें ऊपर बताए गए तरीके के मुताबिक सुखा लें. पतले तने वाली फसल का चुनाव करने से फायदा ये होता है कि वो जल्दी सूख जाती है. तने में नमी का पता इस तरह से भी लगाया जा सकता है कि तने को हाथ से तोड़कर देख लें.
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