पशुपालक की इनकम बढ़ाने, उसकी आने वाली पीढ़ी को पशुपालन में रोकने, दूध और दूध से बने प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ाने, दूध का उत्पादन बढ़ाने और एक्सपोर्ट मार्केट में इंडियन डेयरी का दखल बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी से लेकर बीमारी के टीके तक पर बात हो रही है. सभी की कोशिश है कि जहां यूरोप में डेयरी सेक्टर दो फीसद की रफ्तार से बढ़ रहा है वहीं भारत में छह फीसद की दर से बढ़ रहे डेयरी सेक्टर की रफ्तार को और बढ़ाया जाए. लेकिन इस बारे में इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है, बाहर से मंगाए जाने वाले खाने के तेल पर पांच फीसद डयूटी लगती है.
जबकि एनीमल प्रोडक्ट घी पर पशुपालक से 12 फीसद जीएसटी ली जा रही है. जब घी पर टैक्स लगेगा तो डेयरी कैसे बढ़ेगी. शायद यही बात सरकार को समझाने में हम नाकाम रहे हैं. बीते कई साल से हर प्लेटफार्म पर हम इस आवाज को उठा रहे हैं. लेकिन आज भी नतीजा वहीं का वहीं है. जबकि घी में किसान को भविष्य छिपा हुआ है. देश ही नहीं विदेश के घी बाजार में भी बहुत मौके हैं. जबकि हमारे पास दूध कलेक्शन से लेकर सप्लाई तक की इतनी मजबूत और सस्ती चेन है कि विदेशी कंपनियां भी आज तक इसे समझ नहीं पाई हैं.
केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि दूध और दूध से बने प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करने के लिए कई सारे नियमों का पालन करना होता है. उसी में से एक है पशुओं की बीमारी. पशु अगर हेल्दी होंगे, वक्त से टीका लगेगा तो डेयरी एक्सपोर्ट को बढ़ाने में उतनी आसानी होगी. लेकिन इसके लिए पशुपालकों को सरकार का साथ देना होगा. सरकार खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी का टीकाकरण अभियान चला रही है. पशुपालकों को इसमे गंभीरता के साथ हिस्सा लेना चाहिए. नौ राज्यों को जल्द से जल्द एफएमडी फ्री करने पर काम चल रहा है.
खेती के साथ पशुपालन ही नहीं उन्नत पशुपालन करना होगा. पांच बीघा जमीन पर पांच मुर्गे भारी पड़ रहे हैं. कृत्रिम गर्भाधान और सेक्स सॉर्टेट सीमन से दूध उत्पादन बढ़ेगा. इसे अपनाना चाहिए. एसपी सिंह बघेल, केन्द्रीय राज्यमंत्री मत्स्य, पशुपालन और डेयरी.
देश में अभी भी दो लाख गांव ऐसे हैं जहां मिल्क कोऑपरेटिव नहीं हैं या है तो ठीक से काम नहीं कर रही हैं. हमारी कोशिश है कि आने वाले पांच साल में कम से कम सवा लाख गांव में मिल्क कोऑपरेटिव को एक्टिमव कर देंगे. डॉ. मीनेश शाह, चेयरमैन, नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड
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