पशुओं के लिए वरदान है ये हरा चाराGreen Fodder and Animals काम करने वाला और उत्पादन करने वाला इंसान हो या पशु, सभी को एनर्जी की जरूरत होती है. और एनर्जी के लिए जरूरी है कि आपकी रोजाना की खुराक में कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स शामिल हों. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर पर दूध-मीट का उत्पादन करने वाले गाय-भैंस और भेड़-बकरियों को इस तरह की बैलेंस्ड डाइट की बहुत जरूरत होती है. जब तक ये खुराक पशुओं के रोजाना के चारे में शामिल नहीं होगी तो वो क्वालिटी का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन नहीं कर पाएगा. क्योंकि पशुओं को लगातार एक ही तरह का हरा चारा देना बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं रहता है.
इसलिए हमारी कोशिश ये होनी चाहिए कि हम पशुओं को सुबह से शाम तक दिए जाने वाले चारे में कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और मिनरल्स को कैसे शामिल किया जाए. किस हरे चारे के साथ कौनसा हरा चारा मिलाकर खिलाया जाए जिससे पशुओं को जरूरत की सभी चीजें मिल जाएं, इस बारे में और डिटेल से जानने के लिए जरूरी है कि एनिमल एक्सपर्ट की सलाह पर पशुओं के लिए दिनभर की खुराक तय की जाए.
फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि नेपियर घास बहुवर्षिय चारे में शामिल है. बहुवर्षिय चारा वो होता है जो एक बार लगाने के बाद लम्बे वक्त तक होता है. जैसे नेपियर घास. एक बार नेपियर घास लगाने के बाद करीब पांच साल तक लगातार आप इससे चारा ले सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि पशुओं को सिर्फ एक ही तरह के हरे चारे पर नहीं रखना चाहिए. जैसे अगर नेपियर घास दे रहे हैं तो उसके साथ दलहनी चारा भी उगा लें. जैसे सितम्बर में नेपियर घास के साथ लोबिया लगाया जा सकता है. मतलब नेपियर के साथ सीजन के हिसाब से दूसरा हरा चारा लगा सकते हैं.
अब जब भी आप अपने पशु को नेपियर घास खाने के लिए दें तो उसके साथ उसे दलहनी चारा जरूर दें. नेपियर घास में अगर कर्बोहाइड्रेड है तो लोबिया में प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स शामिल हैं. और इसी तरह की खुराक भेड़-बकरी हो या फिर गाय-भैंस उन्हें इसकी जरूरत होती है. इसे खाने के बाद पशु से दूध ज्यादा मिलता है तो उनके वजन में भी बढ़ोतरी होती है और मीट का स्वाद बढ़ता है.
सर्दियों के मौसम में हरे चारे की थोड़ी कमी हो जाती है. नेपियर घास भी उतनी नहीं मिल पाती है. दूसरी बात ये कि जमीन पर पड़े चारे के मुकाबले बकरी डाल से तोड़कर खाना पसंद करती है. इसमे बकरी को एक खास खुशी भी महसूस होती है. अगर मैदान में हरा चारा नहीं है तो हम ट्री फोडर यानि नीम, गूलर, अरडू आदि पेड़ की पत्तियां खिला सकते हैं. अगर स्वाद और पसंद की बात करें तो बकरियां इन्हें खाना खूब पसंद करते हैं. सर्दियों में तो खासतौर पर नीम की पत्तियां खाना बहुत पसंद करती हैं.
और एक खास बात ये कि पेड़ों की पत्तियां बकरियों के लिए चारा तो होती ही हैं, साथ में दवाई का काम भी करती हैं. जैसे नीम खाने से पेट में कीड़े नहीं होते हैं. दूसरा ये कि बरसात में होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा बहुत होती है. इससे डायरिया होने का डर बना रहता है. जबकि पेड़ों में पानी कम होता है तो डायरिया की संभावना ना के बराबर रहती है. और भी बहुत सारी बीमारियों का इलाज पेड़ों की पत्तिलयों से हो जाता है.
ये भी पढ़ें- मीट उत्पादन में 5वीं से 4 पोजिशन पर आया भारत, दूध-अंडे में पहले-दूसरे पर बरकरार
ये भी पढ़ें- जरूरत है अंडा-चिकन को गांव-गांव तक पहुंचाकर नया बाजार तैयार किया जाए-बहादुर अली
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today