Animal Transportation: गाय-भैंस को खरीदकर ला रहे हैं तो अपनाएं ये उपाय, नहीं तो घर आते ही हो जाएगा बीमार 

Animal Transportation: गाय-भैंस को खरीदकर ला रहे हैं तो अपनाएं ये उपाय, नहीं तो घर आते ही हो जाएगा बीमार 

Tips For Animal Transportation यात्रा के दौरान और उसके बाद पशुओं को बीमारी और तनाव से बचाने के लिए जरूरी है कि एनिमल एक्सपर्ट के बताए कुछ टिप्स जरूर अपनाए जाएं. क्योंकि बीमारी और तनाव की हालत में सबसे पहला नुकसान पशु का उत्पादन घटने से होता है. 

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Animal Transportation: गाय-भैंस को खरीदकर ला रहे हैं तो अपनाएं ये उपाय, नहीं तो घर आते ही हो जाएगा बीमार 

Tips For Animal Transportation गाय-भैंस की सबसे ज्यादा खरीद-फरोख्त पंजाब-हरियाणा से होती है. पंजाब-हरियाणा से सिर्फ यूपी-राजस्थान ही नहीं तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक-तमिलनाडू तक गाय-भैंस जाती हैं. और इन्हें ले जाने का जरिया होता है सड़क मार्ग. एक-दो गाय-भैंस होती हैं तो छोटी गाड़ी से ले जाई जाती हैं और अगर ज्यादा हुईं तो बड़े ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है. और खास बात ये है कि पशुओं की ये लंबी यात्रा ट्रक में खड़े-खड़े ही होती है. जिसके चलते पांच-छह घंटे में ही पशु तनाव में आ जाता है. ऐसा होने पर पशु बीमार पड़ जाता है. 

बीमार होने पर उसका दूध उत्पादन भी घट जाता है. इसलिए पशुओं को खरीदने के बाद लम्बी दूरी की यात्रा कराने से पहले एनिमल एक्सपर्ट के बताए टिप्स का पालन किया तो पशु बिना किसी तनाव और बीमारी के मंजिल तक पहुंच जाएगा. ये टिप्स खासतौर पर पशु की यात्रा के दौरान और डेयरी फार्म पर पहुंचने से जुड़े होते हैं. 

गाय-भैंस की यात्रा पूरी होने पर जरूर करें ये काम 

  • पशुओं के यात्रा से लौटने के बाद कुछ खास काम जरूर करने चाहिए. 
  • यात्रा से आते ही पशुओं को 12-24 घंटे के लिए साफ, छायादार और शांत जगह पर रखें. 
  • आने वाले पशुओं को साफ और ताजा पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स पाउडर मिलाकर दें.
  • यात्रा करके आने वाले पशुओं को शेड में दूसरे पशुओं से अलग रखें. 
  • कोशि‍श करें कि यात्रा से आने वाले पशुओं को क्वारंटीन क्षेत्र में रखें. 
  • पशुओं को क्वारंटीन क्षेत्र में रखने से शेड में बीमारी फैलने का खतरा नहीं रहता है. 
  • यात्रा से आने वाले पशुओं को मुलायम घास ही खाने के लिए दें. 
  • यात्रा से आते ही पशुओं को पहले दिन भारी अनाज या उच्च प्रोटीन वाले चारे से बचें.
  • आने वाले नए पशु के शरीर पर लगी चोट वगैरह चेक कर लें. 
  • पशु की जांच करा लें उसे कोई बीमारी तो नहीं है. 
  • खांसी, नाक से पानी आना, लंगड़ाना, पेट फूलना, कमजोरी आदि पर ध्यान दें.
  • इम्यूनिटी और भूख बढ़ाने के लिए स्ट्रेसमिक्स, विटालाइट या अमीनोविटा दिया जा सकता है. 
  • आने के 24 से 48 घंटे बाद टिक्स, जूं और मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए स्प्रे करें. 
  • आने के तीन से सात दिनों के बाद डॉक्टर की सलाह पर कृमिनाशक दवाई दें और टीकाकरण कराएं. 

निष्कर्ष- 

पशुओं की लंबी यात्रा के दौरान भी कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए. जिस वाहन से पशु को यात्रा कराई जा रही है उसमे पशु के खड़े होने और उसके हिलने-ढुलने के लिए पूरी जगह होनी चाहिए. यात्रा ज्यादा लंबी हो तो बीच में पशु को ब्रेक देना चाहिए.

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