Cow-Buffalo Pregnancy वैसे तो अब गाय-भैंस के प्रजनन में उतनी परेशानियां नहीं आती जितनी पहले आती थीं. डॉक्टर दवाई के अलावा अब कुछ नई तकनीक का इस्तेमाल भी होने लगा है. फिर भी कुछ मौसम के चलते और कुछ पशुपालकों की लापरवाही के चलते प्रजनन के दौरान गाय-भैंस को कम ही सही, लेकिन परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है. मौसम के चलते जहां प्रजनन के वक्त बीमारियां लग जाती हैं तो लापरवाही के चलते प्रजनन संबंधी परेशानियां सामने आने लगती हैं. कुछ ऐसी ही परेशानियों से बचने के लिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं.
यही वजह है कि अब पशुपालक एनिमल एक्सपर्ट की सलाह पर गाय-भैंस का प्रजनन मौसम और महीना अपने हिसाब से तय कर कराने लगे हैं. पशुओं को इस तरह से गाभिन कराया जाता है कि वो उनके मुताबिक तय वक्त पर ही बच्चा दे. खासतौर पर पशुपालक कड़ाके की सर्दी और भीषण गर्मी से बचने की कोशिश करते हैं. क्योंकि इस तरह के मौसम में गाय-भैंस और उनके बच्चे के बीमार पड़ने की आशंका ज्यादा रहती है.
प्रसव के बाद पांच-छह घंटे के अन्दर पशु को जेर डाल देनी चाहिए.
पशु की सामान्य प्रसव क्रिया में 5 से 6 घंटे लगते हैं.
जेर डालने में कभी-कभी 8 घंटे भी हो जाते हैं.
अगर पशु आठ घंटे तक जेर न डाले तो मतलब जेर रुक रही है.
जेर रुकने पर गुड़ 750 ग्राम, अजवाइन 60, सोंठ 15 और मेथी 15, सभी ग्राम में को एक लीटर पानी में मिलाकर दें. ये घोल दो बार तक दिया जा सकता है.
जेर ना डालने पर बांस की हरी पत्ती को उबाल कर उसका काढ़ा भी दिया जा सकता है.
अगर घरेलू उपाय काम ना करें तो पशु चिकित्सक की मदद लें.
पशु चिकित्सक की सहायता से हाथ द्वारा जेर को गर्भाशय से बाहर निकाल दें.
जेर को पशु चाटने या खाने न पाये, उसे दूर गड्ढे में दबा देना चाहिए.
प्रसव कक्ष में किसी भी तरह की गदंगी नहीं होनी चाहिए.
प्रसव कक्ष की निचली सतह को समतल और साफ रखें.
मुमकिन हो तो प्रसव कक्ष जमीन से थोड़ा ऊंचा हो.
पशु और नवजात को बीमारियों से बचाने के उपाय जरूर अपनाएं.
कक्ष में 10 फीसद फिनायल के घोल या फिर बुझे हुए चूने का इस्तेसमाल करें.
गाय-भैंस अगर खड़ी अवस्था में बच्चा दे रही है तो जमीन पर साफ बिछावन बिछा लें.
बिछावन के लिए सूखी घास या फिर गेंहू का भूसा, धान की पुआल ले सकते हैं.
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