कोई भी व्यवसाय, चाहे वो छोटे पैमाने पर हो या बड़े पैमाने पर, उसे शुरू करने के लिए सही सोच विचार और रिसर्च करने की जरूरत होती है. तभी वह व्यवसाय कामयाब भी हो सकता है और फायदे का बिजनेस साबित हो सकता है. अगर किसी को डेयरी व्यवसाय शुरू करना है और इसका निर्णय ले लिया है, तो पशुओं के नस्ल चुनाव के बाद सबसे पहला कदम यह तय करना होता है कि कितने दूध देने वाले पशुओं से डेयरी व्यवसाय की शुरुआत करें. पशुओं की संख्या मुख्य रूप से चारे की उपलब्धता और सिंचाई की सुविधा पर निर्भर होती है.
पहली बार डेयरी बिजनेस शुरू करना है तो शुरू में 10 से 20 पशुओं से शुरुआत करनी चाहिए. इससे उन्हें डेयरी रखरखाव प्रबंधन का अनुभव लेने में मदद मिलती है. इसके बाद धीरे-धीरे डेयरी का आकार बढ़ा सकते हैं. बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों में लोन लेने के लिए 10 दूध देने वाले पशुओं की डेयरी को एक मानक इकाई माना जाता है. अगर बड़े स्तर पर डेयरी शुरू करना चाहते हैं, तो बिना किसी अनुभव के सीधे बड़ी संख्या में पशु नहीं पालने चाहिए.
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डेयरी की जगह का चयन करते समय खास दो बातों पर ध्यान देना जरूरी है, पहला, दूध जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए डेयरी को ऐसी जगह पर स्थापित करना चाहिए जहां से दूध को बाजार तक जल्दी और आसानी से पहुंचाया जा सके. हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि डेयरी फार्म बाजार के पास होना चाहिए, दूसरा, चारे की उपलब्धता फार्म के नजदीक होना चाहिए क्योंकि चारा दूर से लाना पड़ता है, तो परिवहन लागत बहुत बढ़ जाएगी और लाभ कम हो जाएगा.
शहरों और कस्बों के पास जमीन मिलना मुश्किल और महंगा होता है. वहां चारे की लागत भी अधिक होती है. सबसे बेहतर स्थान वह होगा जहां चारा उत्पादन की सुविधा हो. डेयरी फार्म की जगह थोड़ी ऊंचाई पर होनी चाहिए. साथ ही, जहां पानी की सुविधा, बिजली की उपलब्धता और अच्छी सड़क कनेक्टिविटी हो, वहां डेयरी फार्म स्थापित करना चाहिए. डेयरी फार्म के समय जमीन खरीदते या किराए पर लेते समय भविष्य में डेयरी का विस्तार, पशुओं की बढ़ती संख्या, गोदाम और कर्मचारियों के लिए सुविधाओं की संभावनाओं को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है.
अगर खेती के साथ किसान डेयरी खोलना चाहते हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. अगर सिंचाई की सुविधा है और साल भर हरा चारा उगाया जा सकता है, तो एक एकड़ भूमि पर 4 से अधिक दूध देने वाले पशुओं का पालन आसानी से किया जा सकता है. सूखे क्षेत्रों में, जहां खेती मुख्य रूप से मॉनसून पर निर्भर करती है, प्रति एकड़ जमीन पर अधिकतम 2 पशु ही पालना संभव है. अगर चारे की उपलब्धता का ध्यान नहीं रखते और बिना योजना बनाए अधिक पशु खरीद लेते हैं, तो बार-बार चारे की कमी का सामना करना पड़ सकता है. इससे पशु आहार खरीदने पर जरूरत से ज्यादा खर्च होगा जिससे डेयरी से कम फायदे मिलेंगे.
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एक दूध देने वाली गाय-भैंस को हर साल 11 से 14 टन चारे की जरूरत होती है. चारा उत्पादन के लिए बागवानी या एग्रो-फॉरेस्ट्री के साथ इंटरक्रॉपिंग की विधि से चारा फसलों को मुख्य फसलों के साथ उगाया जा सकता है. खेत की मेड़ पर घास उगाकर भी चारे की कुछ मात्रा ली जा सकती है. खेत की मेड़ पर लंबे समय तक चारा देने वाले पेड़ जैसे सुबबूल, सेसबानिया लगाकर साल भर चारे की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है.
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