पांचवीं राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन गणना (MFC) 2025 शुरू होने वाली है. इस गणना में तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 12 लाख मछुआरे परिवारों को कवर किया जाएगा. इस मिशन में बड़े पैमाने पर डेटा जुटाने की तैयारी है. मत्स्य पालन गणना का यह काम इस साल नवंबर-दिसंबर में किया जाएगा.
यह गणना समुद्री मछुआरों के परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बारे में पता करेगी, उसकी रिपोर्ट तैयार करेगी और देश के समूचे समुद्र तट पर मत्स्य पालन के इंफ्रास्ट्रक्चर का नक्शा तैयार करेगी. इस मिशन के अंतर्गत स्थानीय मछुआरा समुदाय से 45 गणनाकार (गिनती करने वाले लोग) चुने जाएंगे जो डेटा जुटाने के लिए प्रत्येक समुद्री मछुआरे के घर पहुंचेंगे.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते बुधवार को केंद्रीय मत्स्य संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय ऑनलाइन बैठक में यह फैसला लिया गया और इसमें मंत्रालय, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य विभागों, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण (FSI) और केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
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एमएफसी 2025 को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत मत्स्य पालन मंत्रालय की ओर से फंड दिया जाता है और चलाया जाता है. सीएमएफआरआई भारत के नौ तटीय राज्यों में गणना करने के लिए नोडल एजेंसी है और एफएसआई को द्वीपों सहित केंद्र शासित प्रदेशों से डेटा जुटाने का काम सौंपा गया है.
इस गणना में मछुआरा समुदायों की आबादी और आजीविका के आंकड़े, मछली पकड़ने के जहाजों, औजारों, बंदरगाहों, मछली उतारने के केंद्रों, प्रोसेसिंग यूनिट्स और कोल्ड स्टोरेज की सुविधाओं सहित पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर का डेटा जुटाया जाएगा.
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नीतू कुमार प्रसाद ने कहा कि इस गणना में मोबाइल आधारित एप्लीकेशन, जियो-टैगिंग और रियल-टाइम डेटा वैलिडेशन सहित आधुनिक डिजिटल औजारों के इस्तेमाल से एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि भारत में मत्स्यपालन के काम को जानने, मछुआरों की कमाई की प्लानिंग और समुद्री संसाधन प्रबंधन को बढ़ाने के लिए यह गणना बहुत अहम है.
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