रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी पर कंट्रोल पाने और उसे खत्म करने के लिए लगातार कोशिश जारी हैं. केन्द्र सरकार वैक्सीनेशन को लेकर करोड़ों रुपये का बजट जारी करती है. आने वाले वक्त में किस तरह से रेबीज को खत्म किया जा सकता है और रेबीज को रोकने में किसकी भूमिका अहम होगी इस पर बात करने के लिए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था.
इस कार्यक्रम में देशभर के राज्य पशु चिकित्सा विभाग, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, पशु कल्याण बोर्ड और पशु कल्याण से जुड़े एनजीओ ने हिस्सा लिया. मंत्रालय की डेयरी सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने इस राष्ट्रीय कार्यक्रम की अध्यक्षता की. आनलाइन मोड में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम को एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर डॉ. अभिजीत मित्रा, ज्वाइंट सेक्रेटरी (एनिमल हैल्थ) सरिता चौहान, ज्वाइंट सेक्रेटरी सुपर्णा पचौरी ने भी संबोधित किया.
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आनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अलका उपाध्याय ने कहा कि देश में कुत्तों से होने वाली रेबीज बीमारी को कंट्रोल करने के लिए सबको साथ कोशिश करनी होगी. इसे कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले मौजूदा रोकथाम और कंट्रोल करने वाली तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. कुत्तों का ग्रुप वैक्सीनेशन होना चाहिए. इसके लिए सबसे अहम भूमिका शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को निभानी होगी. इसे और कारगर बनाने के लिए शहरी और स्थानीय निकायों के साथ एक कार्यशाला भी आयोजित की जानी चाहिए. क्योंकि एमडीवी रेबीज नियंत्रण का सबसे ज्यादा लागत प्रभावी तरीका है.
डॉ. अभिजीत मित्रा ने बताया कि रेबीज इंफेक्शन को कंट्रोल करने और खत्म करने के लिए ग्रुप वैक्सीनेशन के साथ ही उनकी बढ़ती आबादी को कंट्रोल करना भी बहुत जरूरी है. क्योंकि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी रेबीज कंट्रोल के लिए एक बड़ी चुनौती है. इसलिए कुत्तों की आबादी को कंट्रोल करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं द्वारा राज्य पशुपालन विभाग के साथ मिलकर काम करने से ही यह मुमकिन होगा. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का मकसद 2030 रेबीज को खत्म करना है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ोसी देशों को तकनीकी सहायता भी दी जा रही है.
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वहीं सरिता चौहान ने बच्चों और जिम्मेदार पालतू जानवरों के मालिकों के बीच जागरूकता पैदा करने की जरूरत के महत्व पर बात की. उन्होंने सभी संबंधित विभागों द्वारा आवारा कुत्तों के टीकाकरण को बढ़ाने के लिए समन्वित कोशिशों के बारे में भी बताया. गोवा, केरल और सिक्किम के राज्य पशु चिकित्सा विभागों ने अपने-अपने राज्यों में बीमारी और इसे कंट्रोल करने के लिए बनाई गईं योजना और कार्रवाई के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि रेबीज कंट्रोल करने के लिए की गईं गतिविधियों में ग्रुप वैक्सीनेशन, नसबंदी और मजबूत जन जागरूकता अभियान शामिल हैं.
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