सर्दी-गर्मी हो या बरसात, हर तरह के मौसम में बकरियों को खास देखभाल की जरूरत होती है. कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए कहीं बाड़े में खास रखरखाव किया जाता है तो टीके भी लगवाए जाते हैं. सर्दी के इस मौसम में भी बकरियों को दो खास तरह के टीके लगवाने होते हैं. अगर ऐसा नहीं किया गया तो बकरियों के बाड़े में बीमारी फैल सकती है. ये जानलेवा बीमारी होती है. ये कहना है केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार का.
उनका कहना है कि बकरियों को टीके लगवाने के साथ ही बकरियों के शेड में भी खास तरह के इंतजाम करने होंगे. वर्ना इस मौसम में बकरियों के छोटे बच्चों को निमोनिया अपनी चपेट में ले लेता है. इसलिए दूसरे मौसम की तरह से सर्दियों में भी बकरियों और उनके बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है.
इसे भी पढ़ें: दिसम्बर-जनवरी में भेड़-बकरी के बच्चों को निमोनिया से बचाना है तो तैयार करें ये खास शेड
डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि पीपीआर बकरियों की बहुत ही घातक बीमारी है. इसे बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है. ये एक विषाणु जनित बीमारी है इसलिए ये दूसरी बकरियों में भी बहुत तेजी से फैलती है. इसके साथ ही इसी मौसम में बकरियों के बीच चेचक भी फैलती है. चेचक के दौरान बकरियों के शरीर पर चकते से बन जाते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि सर्दी शुरू होते ही बकरियों को पीपीआर और चेचक का टीका लगवा दिया जाए. अगर पशुपालकों ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है तो अब लगवाने में जरा सी भी देरी ना करें. कयोंकि ये बीमारी अगर एक बकरी में हो गई तो फिर दूसरी बकरियों के बीच बड़ी तेजी से फैलती है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थांन के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. के. गुरुराज ने किसान तक को बताया कि प्लेग की पहचान यह है कि बकरी को दस्त होने लगते हैं. निमोनिया होने से नाक भी बहने लगती है. तेज बुखार आता है. बड़ी बकरियों से ही यह बीमारी उसके बच्चों में भी फैलने लगती है. इसी तरह से बकरी को चेचक होने पर निमोनिया होता है और तेज बुखार आने लगता है. बकरी चारा खाना छोड़ देती है. बच्चे भी दूध कम ही पीते हैं.
इसे भी पढ़ें: Goat Farming: पत्ते से लेकर तना तक खाती हैं बकरियां, दूध भी बढ़ता है, पूरे साल मिलता है ये चारा
डॉ. के. गुरुराज ने बताया कि बकरी प्लेग और चेचक का सबसे बड़ा उपाय तो यही है कि इसके होने पर हम इसके भारी-भरकम खर्च से बचें. और यह इस तरह संभव है कि हम प्लान के मुताबिक बकरियों को प्लेग और चेचक के टीके लगवाते रहें. क्योंकि टीके लगवाने का खर्च जहां बहुत ही मामूली होता है और सरकारी केन्द्रों पर तो यह फ्री में ही लग जाते हैं. वहीं अगर यह बीमारी बकरियों को लग जाए तो इलाज में काफी पैसा खर्च हो जाता है. यूपी में तो बार्डर वाली जगहों पर यह टीके फ्री में लगाए जाते हैं. साथ ही एक जरूरी कदम यह भी उठाएं कि अगर बकरी को प्लेग या चेचक हो जाए तो उसे फौरन ही दूसरी बकरियों से अलग कर दें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today