सूअर पालकों के लिए अच्छी खबर है कि भ्रूण मृत्यु और बांझपन की समस्या दूर करने के लिए वैज्ञानिक एडवांस डिवाइस बनाएंगे. दरअसल, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU) लुधियाना के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है. GADVASU के प्रोजेक्ट को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने स्वीकृत करते हुए इस पर खर्च होने वाली रकम को भी मंजूरी दी है. ऐसे में सूअरों में पनपने वाली बीमारियों की रोकथाम का सटीक तरीका जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.
पंजाब के लुधियाना में स्थित गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों के सुअर रोगों के लिए एडवांस डाइग्नोस्टिक टूल विकसित करने के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है. इसके लिए भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की ओर से एडवांस निदान उपकरण विकसित करने के लिए 29 लाख रुपये भी मिल गए हैं, जो इस पर खर्च होंगे.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अनुसार पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग के लिए 29 लाख की रकम साथ पोर्सिन पार्वो वायरस (Porcine Parvovirus Types) को अलग करने और उनके पैदा होने का विश्लेषण करने के लिए कम्प्यूटेशनल विधियों के जरिए निदान उपकरण (टेट्रा एआरएमएस पीसीआर) बनाने के लिए स्वीकृति मिली है. इसके जरिए वैज्ञानिक सूअरों में फैलने वाली कई तरह की बीमारियों की रोकथाम का तरीका खोजेंगे.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU) के कुलपति डॉ. जेपीएस गिल ने सुअर उद्योग के महत्व और इसे प्रभावित करने वाली बीमारियों पर जोर देते हुए कहा कि सरकार से प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने से पशुपालकों का नुकसान घटाने में मदद मिलेगी.कहा कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पंजाब में सूअरों की आबादी को प्रभावित करने वाले एक गंभीर वायरस को ट्रैक करना और उसकी रोकथाम का एडवांस तरीका खोजना है.
प्रधान अन्वेषक डॉ. गुरप्रीत कौर ने बताया कि सूअरों में फैलने वाली वायरल बीमारियां उनकी प्रजनन प्रणाली को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं. इसके चलते सूअरों में भ्रूण मृत्यु और बांझपन की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. इस वजह से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि हमारी रिसर्च टीम इन बीमारियों का शीघ्र और तेज निदान करने के लिए एक नया नैदानिक परीक्षण विकसित करेगा.
उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के जरिए एडवांस डाइग्नोस्टिक डिवाइस सूअरों की आबादी में वायरस के उभरने की जांच करेगी और पता लगाएगी कि इसके प्रसार को कैसे नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि रिसर्च टीम इसके लिए तैयारियों में जुटी है और अब प्रोजेक्ट के लिए खर्च होने वाली रकम भी मिल गई है तो इस काम तेजी आएगी. उम्मीद जताई गई है कि जल्द ही रोकथाम का तरीका खोज लिया जाएगा.
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