पशुओं के बाड़े में गाय हो या फिर भैंस, दोनों को ही दूध और बच्चे के लिए पाला जाता है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध पशुपालक के लिए मुनाफा होता है तो गाय-भैंस का बच्चा उसके लिए बोनस होता है. हर साल मिलने वाले बच्चे से ही बाड़े में पशुओं की संख्या बढ़ती है. और ऐसा कौनसा पशुपालक है जो ये नहीं चाहता कि उसकी गाय-भैंस भरपूर फैट वाला दूध दे और टाइम से हेल्दी बच्चा भी दे दे. हालांकि एक्सपर्ट के मुताबिक ये सब कोई नामुमकिन नहीं है, थोड़ा सा अलर्ट रहते हुए और कुछ सुझावों का पालन करने पर सब कुछ मुमकिन है.
बस जरूरत है तो पशुओं की खुराक पर ध्यान देने की. पशुओं को दी जाने वाली खुराक में हरा-सूखा चारा और मिनरल मिक्चर जरूर दें. कभी भी एक ही तरह का चारा पशुओं को खाने के लिए न दें. ऐसा करने से पशुओं की सेहत भी खराब होती है. जैसे जरूरत से ज्यादा हरा चारा देने से पशुओं का पेट खराब हो जाता है.
कार्बोहाइड्रेट शरीर को एनर्जी देता है. और अच्छी बात ये है कि पशुओं के चारे में इसकी मात्रा सबसे ज्यादा होती है. यह हरा चारा, भूसा, कड़वी और मिनरल मिक्चर में खूब पाया जाता है.
प्रोटीन शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाने में अहम रोल निभाता है. शरीर के मसल्स को ताकत प्रोटीन से ही मिलती है. इतना ही नहीं शरीर की ग्रोथ, गर्भ में पल रहे बच्चे की ग्रोथ और दूध उत्पादन के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है. अगर पशु के लिए प्रोटीन की बात करें तो ये खासतौर पर खल, दालों, फलीदार चारे जैसे बरसीम, रिजका, लोबिया, ग्वार आदि से मिलता है.
पानी में न घुलने वाले चिकने पदार्थ जैसे घी, तेल आदि को वसा कहा जाता है. शरीर के लिए वसा बहुत जरूरी होता है. वसा खासतौर पर त्वचा के नीचे या अन्य स्थानों पर जमा होकर एनर्जी स्टोर के रूप में काम करता है. भोजन की कमी के दौरान वसा ही एनर्जी की पूर्ति करता है. इसलिए पशु की खुराक में करीब तीन से पांच फीसद वसा जरूर शामिल करना चाहिए. पशु को वसा चारे और दाने से आसानी से मिल जाता है. पशु को अलग से वसा देने की जरूरत नहीं है. वसा खासतौर पर बिनौला, तिलहन, सोयाबीन और अलग-अलग तरह की खल से मिल जाता है.
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