scorecardresearch
Egg Export: भारत से रोज एक करोड़ अंडा खरीदने आए मलेशि‍या ने भी दिया बड़ा झटका, पढ़ें डिटेल

Egg Export: भारत से रोज एक करोड़ अंडा खरीदने आए मलेशि‍या ने भी दिया बड़ा झटका, पढ़ें डिटेल

आरोप है कि मलेशि‍या को अंडे बेचने के दौरान क्वालिटी के मामले में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई थी. यही कतर के मामले में भी हुआ. इसी के चलते दोनों खरीदार भारत से चले गए. जबकि मलेशि‍या अंडों का बड़ा खरीदार साबित होता. क्योंकि सिंगापुर समेत चार-पांच देश मलेशि‍या से अंडा खरीदते हैं. 

advertisement
जीएम मक्का आयात करने की अनुमति मिल जाए तो अंडों का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा. जीएम मक्का आयात करने की अनुमति मिल जाए तो अंडों का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा.

रूस-युक्रेन युद्ध के चलते भारतीय पोल्ट्री सेक्टर को एक बड़ा मौका मिला था. अंडा खरीदने के लिए बहुत सारे देश भारत के बाजारों का रुख कर रहे थे. मलेशि‍या और श्रीलंका भी उन्हीं में से एक थे. ये दोनों ही देश युद्ध के चलते अंडा खरीदने भारत आ रहे थे. मलेशि‍या ने पहले सैम्पल बतौर अंडों की खरीदारी शुरू की थी. पहले सैम्पल से शुरुआत करते हुए श्रीलंका ने भी अंडों की खरीदारी शुरू कर दी. श्रीलंका के साथ दोहरी मजबूरी थी, उसे भारत से अंडे खरीदने ही थे. क्योंकि युद्ध के अलावा श्रीलंका के अपने अंदरुनी हालात भी काफी खराब थे. 

लेकिन मलेशि‍या ने अचानक से अंडों की खरीद बंद कर दी. जबकि मलेशि‍या को भारत से हर रोज एक करोड़ अंडों की खरीदारी करनी थी. लेकिन दो महीने में तीन करोड़ अंडे खरीदने के बाद भारत के बाजारों से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया. नमक्कल, तमिलनाडु से मलेशि‍या को अंडों की सप्लाई की जा रही थी. आरोप है कि खराब क्वालिटी और छोटे साइज के अंडे सप्लाई करने के चलते पोल्ट्री सेक्टर को ये बड़ा झटका लगा है. 

ये भी पढ़ें: Egg Export: कतर ने भारतीय अंडे पर लगाई बड़ी शर्त, एक्सपोर्ट को लगेगा झटका...अब क्या करेंगे पोल्ट्री कारोबारी

जानबूझकर खराब किया गया भारतीय अंडों का बाजार

इंटरनेशन ऐग काउंसिल के प्रेसिडेंट और श्रीनिवास ग्रुप के एमडी सुरेश चित्तुरी का आरोप है कि कतर और मलेशि‍या के मामले में जानबूझकर भारतीय अंडा बाजार की छवि को खराब किया गया है. जब अंडा एक्सपोर्ट किया जा रहा है और दाम भी अच्छे मिल रहे हैं तो फिर अच्छी क्वालिटी और बड़े साइज का ही अंडा सप्लाई करना चाहिए. लेकिन यहां तो मामला ही उल्टा हुआ. पोल्ट्री फार्मर से 40-45 पैसे सस्ता छोटा अंडा खरीदकर भेज दिया गया. इतना ही नहीं गंदे अंडों की सफाई तक नहीं कराई गई और डिब्बे में बंद कर बेच दिया गया. 

मलेशिया से अंडा बाजार में गया था अच्छा संकेत  

सुरेश चित्तुरी ने किसान तक को बताया कि रूस-युक्रेन युद्ध के चलते मलेशि‍या भारत आया था. और मलेशि‍या के आने से भारत के अंडा बाजार में एक अच्छा संकेत गया था. क्योंकि अंडे की खरीद-फरोख्त के मामले में मलेशि‍या का काफी नाम है. इसी के चलते इस बात की उम्मीद थी कि मलेशि‍या अंडा खरीदेगा तो डिमांड बढ़ेगी और डिमांड बढ़ने से पोल्ट्री फार्मर को भी अच्छा दाम मिलेगा. भारत में अंडे की कोई कमी नहीं है. हर साल सात से आठ फीसद की रेट से उत्पादन बढ़ रहा है. और अंडा उत्पादन में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है.  

ये भी पढ़ें: Goat Farming: सर्दियों में 60 दिन ऐसे की बकरी की देखभाल तो कम हो जाएगी बच्चों की मृत्यु दर

इसलिए है भारतीय अंडे की डिमांड 

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने बताया कि भारतीय अंडा बहुत सारे दूसरे देशों के मुकाबले सस्ता है. दूसरी बात क्वालिटी की है. अंडे का यॉक पूरी तरह गहरे पीले रंग का है. और सबसे बड़ी बात ये कि तमिलनाडु और केरल के कुछ पोर्टस से बहुत सारे देशों को अंडा कम वक्त में सप्लाई हो जाता है.