असल में जिसे हम हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक वो लू ही है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो जब बाहरी तापमान बढ़ने लगता है और तेज गर्म हवाएं चलने लगती हैं तो ऐसे में पशु के लू की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है. अगर लू की चपेट में आए पशु को लक्षणों से पहचान कर फौरन ही इलाज दे दिया जाए तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है. लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हम रोजमर्रा की देखभाल में अलर्ट रहते हुए कुछ जरूरी कदम उठा लें. ऐसा करने से न पशु लू की चपेट में आएगा और न उसके बीमार पड़ने पर खर्चा करना पड़ेगा.
एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं को धूप और लू से बचाने के लिए हवादार शेड और छायादार पेड़ के नीचे रखें, जहां सीधी धूप पशुओं पर न पड़े. शेड को ठंडा रखने के लिए दीवारों के उपर जूट की टाट लटका कर उसपर थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए, जिससे बाहर से आने वाली हवा में ठंढक बनी रहे.
पंखे या कूलर का पशुओं के बीच खूब इस्तेमाल करें. पशुओं में पानी और नमक की कमी हो जाती है. पशु खाने में दिलचस्पी नहीं लेता है. इसे ध्यान में रखते हुए दिन में कम से कम चार बार साफ, स्वच्छ और ठंडा पानी पिलाना चाहिये. साथ ही संतुलित आहार के साथ-साथ उचित मात्रा में खनिज मिश्रण देना चाहिये. पशुओं खासकर भैंस को दिन में दो-तीन बार नहलाना चाहिए. आहार में संतुलन बनाए रखने के लिए अजोला घास का इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही खुराक में गेहूं का चोकर और जौ की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. पशुओं को चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम में देर से भेजना चाहिए.
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