
Lucknow News: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार आवारा पशुओं के मामले को लेकर काफी गम्भीर है और इसके लिए सरकार द्वारा समय-समय पर समीक्षा भी की जा रही है. इसी कड़ी में लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने शुक्रवार को अफसरों एक खास जिम्मेदारी सौंपी है. अधिकारी अब रात 8 बजे से लेकर 11 बजे तक आवारा पशुओं की तलाश करेंगे. ड्यूटी के दौरान ये अधिकारी सांड, गाय, बैल, लावारिस बछड़ों की फोटो खींचकर तुरंत मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (CMO) को भेंजेगे. फोटो के आधार पर कैटल कैचिंग दस्ते मवेशियों की धर पकड़ करेंगे. इसके बाद मवेशियों को गोआश्रय स्थल ले जाया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार द्वारा निराश्रित गोवंश के संरक्षण एवं भरण-पोषण के संबंध में निर्गत दिशा-निर्देश के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु गोआश्रय स्थलवार माइक्रो मैनेजमेंट के पर्यवेक्षण के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक बुलाई थी. बैठक में जिलाधिकारी गंगवार ने कहा कि निराश्रित गौवंश का संरक्षण एवं भरण पोषण सरकार की प्राथमिकता के कार्यक्रमों में सम्मिलित है. वर्तमान में कुछ घटनाएं घटी है जिसके क्रम में तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये है. उन्होंने कहा कि जो भी गौ स्थल बनाये गये है उसमें क्या कमियां है इसकी कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत की जाए. उन्होंने संरक्षित पशुओं, भूसा व हरे चारे की स्थिति के बारें में नोडल अधिकारियों से जानकारी ली.
डीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी अस्थायी/स्थायी गौशालाओं में विद्युत कनेक्शन कराना सुनिश्चित करें, साथ ही सोलर लाइट की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए. नोडल अधिकारियों प्रत्येक माह कम से कम 2 निरीक्षण अवश्य करना सुनिश्चित करे, साथ ही निरीक्षण के दौरान अपनी रिर्पोट में अंकित करें कि गौशाला में कितने पशु है, पशुओं की स्थिति भूसा/हरे चारे की व्यवस्था, गौ पालक आते है अथवा नहीं, ग्राम प्रधान सक्रीय है अथवा नही इसका उल्लेख अवश्य किया जाए.
जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार द्वारा सभी नोडल अधिकारियों को निर्देश दिये कि आगामी 30 अगस्त तक प्रत्येक दशा में गौशालाओं का निरीक्षण कर निरीक्षण आख्या प्रस्तुत करना सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने बताया की निरीक्षण आख्या मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की ई-मेल पर भेजना सुनिश्चित किया जाए.
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जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए की प्रत्येक गौ आश्रय स्थल पर एक लॉक बुक बनाना सुनिश्चित किया जाए जिसमें गौवंश के आने, भूसा आदि का अंकन किया जाए. प्रत्येक गौशाला पर डिस्प्लेबोर्ड अंकित कराये. प्रत्येक गौशाला पर पहुंच मार्ग अवश्य हो. उन्होंने कहा कि यदि गौ आश्रय स्थल में कोई भी अनियमितता पाई जाती है तो उसके जिम्मेदार नोडल अधिकारी होगें. नोडल अधिकारी के पास गौ पालक, ग्राम प्रधान व सिक्रेट्री का नंबर अवश्य होना चाहिए.
इससे पहले यूपी विधानसभा के मानसून सत्र में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को उठाया था. अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि कुछ नहीं हो सकता है तो कम से कम 'सांड सफारी' ही बना लें. कुछ दिन पहले बरेली के आंवला में पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के काफिले को स्थानीय लोगों ने रोक लिया था. मंत्री को स्थिति से अवगत कराने और आवारा पशुओं के मामले में अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए इस प्रकार का प्रदर्शन किया गया था.
आपको बता दें कि प्रदेश में हजारों की तादाद में लावारिश घूम रहे ये गोवंश अब लोगों की जान के लिए आफत बनते जा रहे है. आए दिन हो रही दुर्घटनाओं के लिए शहरों और हाई वे पर घूम रहे आवारा गोवंश काफी हद तक जिम्मेदार हैं. शहरों में गाय, बैल और सांड दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह हैं, तो हाई वे पर लावारिस घूम रहे ये पशु हर दिन दर्जनों दुर्घटना की वजह बन रहे हैं.
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