Feed and Livestock Issue ‘पोल्ट्री, डेयरी और फिशरीज तेजी से बढ़ने वाले सेक्टर है. किसी में हम नंबर वन तो किसी में नंबर दो पर हैं. आगे बढ़ने की संभावनाएं बहुत हैं. 2040 तक डिमांड लगातार बढ़ती रहेगी. अंडे-चिकन, दूध और झींगा सभी कुछ तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन सभी के बीच एक कॉमन बात ये है कि यहां फीड लागत सबसे ज्यादा आती है. दूसरे खर्च बहुत कम हैं. और इसी की वजह से हम इंटरनेशनल मार्केट में मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं. खाड़ी के देश हमारे नजदीक हैं, फिर भी वो पोल्ट्री प्रोडक्ट ब्राजील से खरीदते हैं. हमसे भी अंडे खरीदते हैं, लेकिन ना के बराबर.’
ये कहना है कंपाउंड फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) के प्रेसिडेंट दिव्य कुमार गुलाटी का. उनका कहना है कि आज हम एक्सपोर्ट मार्केट में फीड लागत की वजह से पीछे रह जाते हैं. हम एक्सपोर्ट के मानकों पर खरा उतरने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम दाम में मुकाबला नहीं कर पाते हैं.
हैदराबाद में आयोजित एजीएम में बोलते हुए प्रेसिडेंट गुलाटी ने बताया कि मिडिल ईस्ट हमारे नजदीक है. छोटा नंबर सही, लेकिन हम उन देशों को अंडे एक्सपोर्ट करते हैं. लेकिन वो जितना बड़ा पोल्ट्री का बाजार है उसके मुकाबले वो नंबर कुछ भी नहीं है. वो लोग हर साल 500 करोड़ अंडे खरीदते हैं. 220 मीट्रिक टन चिकन खरीदता है. इसमे यूएई और साऊदी अरब 240 करोड़ डॉलर का चिकन खरीदते हैं. लेकिन वो लोग अपनी डिमांड का 70 से 75 फीसद ब्राजील से इंपोर्ट करते हैं. जबकि, अगर वो हमसे खरीदें तो ब्राजील के मुकाबले ट्रांसपोर्ट सस्ता पड़ेगा. लेकिन वो हमसे नहीं खरीदते हैं.
प्रेसिडेंट गुलाटी का कहना है कि आज सीफूड के लिए एमपीडा, फ्रूट-वेजिटेबल के लिए एपीडा और डेयरी के लिए एनडीडीबी जैसे बोर्ड हैं, लेकिन पोल्ट्री के लिए ऐसा कोई बोर्ड नहीं है. अगर पोल्ट्री या लाइव स्टॉक के लिए ऐसा कोई बोर्ड बनता है तो इसका बड़ा फायदा पोल्ट्री सेक्टर एक्सपोर्ट मार्केट में मिलेगा. इतना ही नहीं गांव की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी.
एजीएम में झींगा किसान और झींगालाला रेस्टोरेंट के संचालक डॉ. मनोज शर्मा ने कहा कि आज झींगा खतरे में है. लेकिन किसी के भी कान पर जूं नहीं रेंग रही है. वजह है कि झींगा एक्सपोर्ट सिर्फ 40 हजार करोड़ रुपये का है. लेकिन ये कोई नहीं देख रहा कि अमेरिकटी टैरिफ के चलते झींगा के साथ जुड़े किसान, एक्सपोर्टर, प्रोसेसर और दूसरे लोगों का क्या होगा. इसलिए जरूरी है कि झींगा के लिए जल्द से जल्द घरेलू बाजार तैयार किया जाए.
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