वक्त शाम का है और बारिश हो चुकी है. अब बस ठंडी हवा चल रही है और एक जाफराबादी नस्ल की भैंस शेड के खंभे से बंधी है. इस भैंस की रस्सी लंबी है इसलिए खुद को शेड से बाहर करके, आंखें आधी मंदकर जुगाली कर रही है. लेकिन शेड के अंदर खूंटे से एक दूसरी भैंस बंधी है. नस्ल मुर्रा है और नाम है मिल्की देवी. बाहर मस्त जुगाली कर रही जाफराबदी भैंस, जिसे मालिक सिल्की देवी कहकर बुलाता है, उसे देखकर मिल्की देवी को जलन महसूस हो रही है. सिल्की देवी को देख रम्हाते हुए मिल्की देवी ने आखिर कह ही दिया, "क्या बात है जो इतना खुश हो रही हो". इसपर सिल्की देवी भी रम्हाते बोली, "क्या बात है कि तुम जलकर और काली हो रही हो?" अब यहां से दोनों भैंसों की चारे पर चर्चा शुरू हो गई.
मिल्की देवी ने सिल्की देवी को बताया कि मालिक तो हमारा एक ही है लेकिन हम दोनों की खुराक और देखभाल में भेदभाव बहुत करता है. इस पर सिल्की देवी ने बताया कि रोज सुबह आते ही पहले तो मालिक पीटता और दुथकारता है. उसके बाद इसी खूंटे पर बंधे हुए दूह लेता है और मेरे बच्चे के लिए 100 ग्राम दूध भी नहीं छोड़ता. मिल्की देवी ने ये भी बताया कि शेड की सफाई तो हफ्तों तक नहीं करता है.
सिल्की देवी ने आगे पूछा कि तो खाना खुराक कैसी मिलती है तुम्हे? इसपर मिल्की देवी बोली, "बहन हरे चारे के नाम पर तो जो तुम लोगों का बच जाता है, बस वही खाने को मिलता है. बाकी तो सूखे चारे से ही पेट पाल रही हूं."ये सुनकर सिल्की देवी ने पूछा, "तुम तो मुर्रा नस्ल की हो... दूध कितना आ रहा है फिर?" ये सुनकर मिल्की देवी बोली, "मेरी नस्ल की बाकी भैंसे 15 लीटर दूध दे रही हैं... मैं भी पहले बाल्टी भर दिया करती थी. लेकिन अब तो हाल ये है कि आधी बाल्टी भरना मुश्किल हो रहा है." अपना दुखड़ा सुनाते हुए मिल्की देवी ने कहा, "कभी-कभी तो मन करता है कि अपनी रस्सी तोड़कर भाग जाऊं."
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अपना दुखड़ा सुनाते हुए मिल्की देवी ने कहा कि मेरा तो हाल बुरा है, लेकिन तुम ये बताओ कि आखिर तुम्हारी चमड़ी, तुम्हारे नाम की तरह इतनी सिल्की कैसे हो रही है? इसपर सिल्की देवी ने कहा कि मालिक जितना अत्याचार तुम्हारे साथ कर रहा है, उतनी ही सेवा मेरी कर रहा है. सिल्की देवी ने बताया, "मुझे सुबह से ही मालिक अंदर से खोलकर खुले में बांधता है और पहले हरा चारा और सूखा चारा डालकर उसमें थोड़े से दाने मिलाता है और फिर दुहने बैठता है. इसके बाद शेड के अंदर मेरी जगह पर अच्छे से सफाई भी करता है."
सिल्की देवी ने कहा, "मेरी चमड़ी की चमकने के पीछे राज भी यही है कि जितना मैं दूध देती हूं, उसके प्रति लीटर के हिसाब से, 500 ग्राम तेल रोज मुझे दाने के साथ खिलाया जाता है. तब जाकर मैं इतनी चुस्त और सिल्की दिखती हूं." इतना ही नहीं सिल्की देवी ने बताया कि बाकी सारी जाफराबादी नस्ल की भैंस 12 से 14 लीटर दूध देती हैं. लेकिन मालिक मुझे मिनरल पाउडर खिलाकर 15 लीटर से भी ज्यादा दूध ले रहे हैं. इतना ही नहीं सिल्की देवी ने मिल्की देवी को बताया कि दूध बढ़ाने के लिए मुझे लोबिया घास तो रोज ही खिलाते हैं.
इस चर्चा के बाद मिल्की देवी ने सिल्की देवी से पूछ ही लिया कि आखिर मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई कि मालिक मेरे साथ सौतेला जैसा व्यवहार करते हैं. इसपर सिल्की देवी ने मिल्की देवी से कहा, "तुमने पिछले साल मालिक को सींघ में फंसाकर जो फेंका था ना... बस उसी का बदला तुमसे लिया जा रहा है."
नोट- इस कहानी के सभी नाम काल्पनिक हैं.
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