भारत में मीट और मछली की बढ़ती मांग को देखते हुए अब मत्स्य पालक पारंपरिक तरीकों के बजाय आधुनिक और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना रहे हैं. ऐसी ही एक उन्नत और कम लागत वाली तकनीक है बायोफ्लॉक मछली पालन तकनीक, जिसे अपनाकर किसान कम पानी, कम खर्च और सीमित जगह में अधिक मछली उत्पादन कर सकते हैं. इस तकनीक के ज़रिए किसान बिना तालाब खुदाई के एक टैंक में मछली पालन कर सकते हैं.
बायोफ्लॉक (Biofloc) तकनीक एक वैज्ञानिक प्रणाली है जिसमें मछलियों के अतिरिक्त भोजन को लाभकारी बैक्टीरिया की मदद से प्रोटीन में बदला जाता है. यह प्रोटीन मछलियों के लिए भोजन का काम करता है, जिससे मछलियों का विकास तेज़ होता है और पानी की बर्बादी भी नहीं होती.
बायोफ्लॉक्स में शैवाल, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और मछलियों के अवशिष्ट (waste) होते हैं. इसमें 25 से 50 प्रतिशत प्रोटीन और 5 से 15 प्रतिशत वसा होती है, साथ ही यह फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स और विटामिन का भी अच्छा स्रोत होता है.
बायोफ्लॉक मछली पालन शुरू करने के लिए निम्नलिखित संसाधनों की आवश्यकता होती है:
इस तकनीक में कई प्रकार की मछलियों का पालन किया जा सकता है, जैसे:
यदि एक 10,000 लीटर क्षमता वाला टैंक स्थापित किया जाए:
भारत सरकार द्वारा बायोफ्लॉक मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान योजना भी शुरू की गई है:
बायोफ्लॉक तकनीक मछली पालन के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला रही है. यह तकनीक न केवल बेरोजगारी को कम करने में सहायक है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय का एक शानदार विकल्प भी देती है. यदि आप भी कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो बायोफ्लॉक मछली पालन एक उत्तम व्यवसायिक अवसर हो सकता है.
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