भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की समस्या के चलते सड़क बंद होने से नुकसान झेल रहे जम्मू-कश्मीर के फल उत्पादक किसानों के लिए राहत भरी खबर है. भारतीय रेलवे ने बागवानों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए गुरुवार से घाटी से सीधे जम्मू और दिल्ली तक सेब पहुंचाने के लिए दो पार्सल वैन (ट्रेन) की सुविधा शुरू की है. रेल मंत्रालय का कहना है कि इस कदम से कश्मीर के बागवानों को न सिर्फ अपनी फसल को सुरक्षित बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, बल्कि बागवानी क्षेत्र को भी नई ऊर्जा मिलेगी.
बीते दिनों जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) लगातार बंद रहने से कश्मीर के बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. तेज बारिश और बाढ़ के कारण हाईवे पर ट्रकों की आवाजाही रुक गई थी, जिससे हजारों टन सेब ट्रकों में ही फंस गए थे. इस वजह से सेब के खराब होने और किसानों को करोड़ों रुपये के नुकसान की खबरें सामने आई थीं. ऐसे में अब रेल के जरिए वैकल्पिक व्यवस्था बागवानों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है.
रेलवे अधिकारियों ने जानकारी दी कि गुरुवार को बड़गाम स्टेशन से दो पार्सल वैन रवाना होंगी. इनमें से एक जम्मू और दूसरी दिल्ली के लिए रवाना होगी और दोनों में घाटी के ताजे सेब लदे होंगे. इसके साथ ही शनिवार से बड़गाम से दिल्ली के आदर्श नगर स्टेशन तक रोजाना समयबद्ध पार्सल ट्रेन चलाने की भी घोषणा की गई है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि अब घाटी के सेब उत्पादकों को सशक्त बनाने का समय आ गया है. जम्मू-श्रीनगर रेल लाइन शुरू होने से कश्मीर को बेहतर कनेक्टिविटी मिली है. इसी कड़ी में 13 सितंबर से बड़गाम से दिल्ली के लिए रोजाना पार्सल ट्रेन चलाई जाएगी.
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि यह व्यवस्था कश्मीर के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बदलाव का प्रतीक है. अब घाटी का मशहूर सेब सीधे रेल के जरिए राष्ट्रीय बाजार तक कम समय और सुरक्षित तरीके से पहुंचेगा. इससे किसानों को बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है और घाटी की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर रेल मंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि सेब परिवहन के लिए यह कदम बेहद अहम है. वहीं, उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस फैसले से सेब किसानों को बड़ी राहत मिलेगी.
बागवान लंबे समय से इस मांग को उठा रहे थे कि उन्हें सड़क मार्ग के विकल्प के तौर पर रेल सुविधा मिले. बाढ़ और बारिश के कारण जब भी राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होता है, किसान अपने उत्पादन को बाहर भेजने में असमर्थ हो जाते हैं. इस बार भी यही स्थिति देखने को मिली थी, लेकिन अब रेल सेवा के शुरू होने से बागवानों की सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो गया है. (पीटीआई)
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