सड़कों पर लाखों की संख्या में छुट्टा गाय-बैल और बछड़े घूम रहे हैं. बहुत सारी गायों को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया गया है कि वो अब दूध नहीं देती हैं. लेकिन इस सब के बीच एक गौशाला ऐसी भी है जो छुट्टा घूमने वाले गाय-बैल को आश्रय दे रही है. गाय-बैल के जख्मों पर मरहम लगा रही है. इस गौशाला में गाय-बैल और बछड़ों की संख्या 60 हजार से ज्यादा है. यह गौशाला मथुरा के बरसाना में संचालित की जा रही है. गौशाला का रखरखाव रमेश बाबा के निर्देशन में हो रहा है. गौशाला में गायों के खाने-पीने का ही रोजाना का खर्चा 40 लाख रुपये से ज्यादा का है.
देश के अलग-अलग इलाकों से हर रोज गायों को लेकर तरह-तरह की खबरें आती हैं. कहीं गोशाला की गंदगी में बीमारी से गाय दम तोड़ रही हैं तो कहीं भूख से गायों की जान निकल रही है. वहीं कुछ गौशालाएं चारे की कमी के चलते गायों को सड़कों पर खुला छोड़ रही हैं.
गौशाला के सेवादार ब्रजेन्द्र शर्मा ने किसान तक को बताया कि ये गोशाला मथुरा के बरसाना में चलाई जा रही है. आज की तारीख में यह गौशाला 275 एकड़ एरिया में फैली हुई है. 7 जुलाई 2007 को 5 गायों से इस गौशाला की शुरुआत हुई थी. उस वक्त ऐसा कोई लक्ष्य नहीं रखा था कि इसे बड़ी गौशाला बनाएंगे. आज लक्ष्य यह है कि इस गौशाला में एक लाख गायों की सेवा की जाए. बाकी तो हर एक गाय के लिए इस गौशाला के दरवाजे खुले हैं. पहाड़ी पर बने मान मंदिर में आने वाले साधु-संतों की दूध की जरूरत को भी गौशाला से पूरा किया जा रहा है.
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ब्रजेन्द्र शर्मा का कहना है कि गौशाला में 60 हजार से ज्यादा गायों की देखभाल करने के लिए 300 से ज्यादा कर्मचारी हैं. डीजल से चलने वाले कई तरह के वाहन भी गौशाला की साफ-सफाई और चारे का इंतजाम करने में दिन-रात लगे रहते हैं. गायों का पेट भरने के लिए हरा चारा, भूसा, चूनी, खल और दूसरी चीजें उन्हें खिलाई जाती हैं. जिन पर रोजाना 40 लाख रुपये से ज्यादा खर्चा आता है. गौशाला में ही ओपीडी, आपेशन थिएटर, पैथोलाजी लैब, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे सेंटर भी बनाया गया है.
ब्रजेन्द्र शर्मा ने बताया कि भूसा, हरा चारा और दाना यानि मिनरल्स मिलाकर एक गाय-बैल और बछड़े को रोजाना औसत करीब 8 किलो तक खुराक चाहिए होती है. इस हिसाब से गौशाला में रोजाना 5 लाख किलो तक चारा चाहिए होता है. इस चारे में भूसा, हरा चारा, मक्का, बाजारा, जौ, खल, 3 हजार रुपये किलो से लेकर 5 हजार रुपये किलो के रेट वाले विटामिन दिए जाते हैं. रोजाना ही 30 से 40 हजार रुपये के विटामिन गायों को दिए जाते हैं.
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गोसेवक राधाकांत शास्त्री बताते हैं कि सर्दी और बरसात के मौसम में गायों के लिए हरा चारा आसानी से मिल जाता है. आजकल बाजार में खूब हरा चारा मौजूद है. भूसे के साथ गायों को हरा चारा मिलाकर दिया जाता है. इस वक्त रोज गौशाला में टनों के हिसाब से हरा चारा आ रहा है. जिसे कटाई के बाद गायों को खिलाया जा रहा है. इसके अलावा मटर कंपनी, सहारनपुर और बरेली से मटर के छिलके और दूसरे जिलों से गन्नाा (ईंख) भी मंगाया जा रहा है.
हमने देखा कि गोपालन में मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. चारा तैयार करने के लिए यहां 10 बड़े मिक्चर हैं. इनमें भूसा, चूनी, खल और हरा चारा डाल दिया जाता है. मिक्चर इन सब को मिलाकर चारा तैयार कर देता है. इसके बाद इसी मिक्चर की सहायता से गायों के बाड़े में चारा डाल दिया जाता है. मिक्चर की मदद करने के लिए जेसीबी और टैक्टर भी लगे हुए हैं.
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