कृषि के साथ-साथ पशुपालन किसान की आय का मुख्य स्रोत है. जिसमें डेयरी के लिए गाय और भैंस को पाला जाता है, जबकि मांस के लिए मुर्गी, बकरी और भेड़ को खासतौर पर पाला जाता है. वर्तमान समय में किसानों ने पशुपालन को आय का मुख्य साधन बना लिया है. जिससे कम जमीन में भी अच्छी आमदनी मिल जाती है. सबसे खास बात यह है कि इन सबके लिए बाजार का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और न ही दूर जाना पड़ेगा.
पशुपालक किसानों से पता चलता है कि अधिक बकरियां पालने से अधिक लाभ होता है. यदि इसमें भी बकरी की सही नस्ल की पहचान कर उसका पालन किया जाए तो कम समय में अधिक मुनाफा होता है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे बकरी की सबसे उन्नत नस्ल के बारे में जो बहुत ही कम समय में अधिक मुनाफा देता है और बाजार में इसकी मांग सबसे ज्यादा है.
हम बात कर रहे हैं साउथ अफ्रीकन बोअर बकरी की, यह नस्ल बकरी की सबसे उन्नत नस्ल है. इस बकरे का मांस खाने वालों में सबसे पसंदीदा है. इसके अच्छे मांस के कारण इसकी विदेशों में सबसे ज्यादा मांग है. इस बकरे की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी मांग के अनुरूप पूर्ति नहीं हो पाती है. कुछ जगहों पर इस नस्ल के बकरे की मांग 3,000 रुपये से 3,500 रुपये तक प्रति किग्रा है.
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हालांकि यह नाम से ही विदेशी नस्ल है लेकिन इस नस्ल की बकरियों का पालन भारत में भी काफी लोकप्रिय हो गया है. महाराष्ट्र के सांगली, पुणे, कोल्हापुर में किसान इस प्रजाति की बकरी को पालकर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अधिकतर बकरे भारत से बाहर चले जाते हैं या फिर भारत के सबसे महंगे होटलों में भेज दिए जाते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि इस बकरे की कीमत बहुत ज्यादा है.
यह नस्ल अच्छे मांस के लिए जानी जाती है. इस नस्ल की त्वचा सफेद और सिर और गर्दन लाल होती है. इस नस्ल के कान लंबे होते हैं जो नीचे की ओर लटकते हैं. यह तेजी से बढ़ता है और शांतिपूर्ण प्रकृति का होता है. एक वयस्क नर बकरी का वजन 110-135 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 90-100 किलोग्राम होता है. नर बकरी की लंबाई 70 सेमी होती है. और मादा बकरी की लंबाई 50 सेमी होती है.
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