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Goat Breed: पशुपालकों के लिए बंपर कमाई का जरिया है बकरी की ये खास नस्ल, 55-60 किलो तक बढ़ता है वजन

Goat Breed: पशुपालकों के लिए बंपर कमाई का जरिया है बकरी की ये खास नस्ल, 55-60 किलो तक बढ़ता है वजन

जखराना नस्ल की बकरी का आकार बड़ा होता है और कानों पर सफेद धब्बे होते हैं. इसका उपयोग दूध उत्पादन और मांस उत्पादन दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है और त्वचा का उपयोग टैनिन उद्योगों में किया जाता है. प्रतिदिन औसत दूध उपज 2.0-3.0 किलोग्राम है. एक वयस्क नर बकरी का वजन 55 से 60 किलोग्राम और एक वयस्क मादा बकरी का वजन 45 किलोग्राम होता है.

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सही नस्ल की बकरी का करें पालन सही नस्ल की बकरी का करें पालन

जखराना नस्ल अपने उच्च दूध उत्पादन और उत्कृष्ट मांस गुणवत्ता के लिए जानी जाती है, जो इसे किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बनाती है. ये बकरियां विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में खुद को अच्छी तरह से ढाल सकती हैं. यह नस्ल राजस्थान के जखराना और अलवर जिलों में पाई जाती है. इसका आकार बड़ा होता है और कानों पर सफेद धब्बे होते हैं. इसका उपयोग दूध उत्पादन और मांस उत्पादन दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है और त्वचा का उपयोग टैनिन उद्योगों में किया जाता है. प्रतिदिन औसत दूध उपज 2.0-3.0 किलोग्राम है. एक वयस्क नर बकरी का वजन 55 से 60 किलोग्राम और एक वयस्क मादा बकरी का वजन 45 किलोग्राम होता है. एक वयस्क नर बकरी की लंबाई लगभग 84 सेमी. होती है और मादा बकरी की लंबाई लगभग 77 सेमी. होती है.

पशुओं को दें सही मात्रा में आहार

अपने जिज्ञासु स्वभाव के कारण बकरी की यह नस्ल विभिन्न प्रकार का भोजन खा सकती है, जो स्वाद में कड़वा, मीठा, नमकीन और खट्टा होता है. वे लोबिया, बरसीम, लहसुन आदि फलीदार भोजन स्वाद और आनंद से खाती हैं. वे मुख्य रूप से चारा खाना पसंद करते हैं जो उन्हें ऊर्जा और उच्च प्रोटीन देता है. आमतौर पर उनका खाना खराब हो जाता है क्योंकि वे खाने पर ही मलत्याग कर देती हैं. इसलिए भोजन को नष्ट होने से बचाने के लिए एक विशेष प्रकार का खाद्य भण्डार बनाया जाता है.

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मेमने को कोलोस्ट्रम जरूर खिलाएं

जन्म के पहले घंटे के भीतर मेमने को कोलोस्ट्रम अवश्य खिलाएं. इससे उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाएगी. इसके अलावा, कोलोस्ट्रम विटामिन ए, डी, तांबा, लोहा, मैंगनीज और मैग्नीशियम आदि जैसे खनिजों का एक अच्छा स्रोत है. एक मेमने को प्रतिदिन 400 मिलीलीटर की आवश्यकता होती है. मेमने को दूध पिलाना चाहिए, जिससे पहले महीने की उम्र के साथ बढ़ता रहता है.

एक साधारण बकरी एक दिन में 4.5 किलो हरा चारा खा सकती है. इस चारे में कम से कम 1 किलो सूखा चारा जैसे अरहर, मटर, चने की भूसी या फलियां घास भी शामिल होनी चाहिए.

गर्भवती बकरियों की ऐसे करें देखभाल

बकरियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए गर्भवती बकरी को ब्याने से 6-8 सप्ताह पहले दूध देना बंद कर दें. ब्याने से 15 दिन पहले ब्याने वाली बकरियों को साफ, खुले और रोगाणु रहित ब्याने वाले कमरे में रखें.

बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगवाएं

क्लोस्ट्रीडियल रोग से बचाव के लिए बकरियों का सीडीटी या सीडी और टी टीकाकरण कराएं. जन्म के समय ही टिटनेस का टीका लगवाना चाहिए. जब बच्चा 5-6 सप्ताह का हो जाए तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उसे टीका लगवाना चाहिए और उसके बाद साल में एक बार टीका लगवाना चाहिए.