पशुपालक छोटा हो या बड़ा, सबकी एक ही चाहत होती है कि उसकी गाय-भैंस ज्यादा से ज्यादा दूध दे. गाय-भैंस बीमार कम पड़े, जिससे पशुपालन पर कम से कम लागत आए. इस बारे में एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि ये कोई सपने देखने जैसा नहीं है. अगर पशुपालक जागरुक हो जाएं तो पशुपालन में ये सभी बातें मुमकिन हैं. करना बस ये है कि जब गाय-भैंस को गाभिन कराएं तो तीन खास बातों ख्याल रखें. खासतौर पर तब जब पशुपालक पशु को कृत्रिम रूप से गाभिन करा रहे हों. ये तीनों ही बातें बुल (सांड) से जुड़ी हुई हैं.
ये बात सही है कि कुल दूध उत्पादन में विश्वस्तर पर भारत पहले नंबर पर है. बीते साल ही देश में 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ है. बावजूद इसके हमारे देश में प्रति पशु दूध उत्पादन कम है. इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार कृत्रिम गर्भाधान (AI) को बढ़ावा दे रही है.
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केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार, हरियाणा के रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए किसी भी बुल का वीर्य (सीमेन) चुनने से पहले एक तो ये जरूर जांच-परख कर लें कि बुल की मां कितना दूध देती थी. दूसरा ये कि वीर्य का इस्तेमाल सिर्फ प्रोजेनी टेस्टिंग बुल का ही करें. ये नस्ल सुधार में सहायक होते हैं. किसान अगर उत्पादन और नस्ल सुधार चाहते हैं तो ये सिर्फ प्रोजेनी टेस्टिंग बुल के वीर्य से ही संभव होगा. तीसरी सबसे खास बात ये कि गाय-भैंस को गाभिन कराने के लिए कभी भी बुग्गा गाड़ी में जोते गए बुल या फिर दूसरे कमर्शियल काम में लगे बुल के वीर्य का इस्तेसमाल कभी ना करें.
बाड़ा ऐसा हो जो सांड को सर्दी-गर्मी से बचाए.
प्राकृतिक गर्भाधान का स्थान बाड़े से दूर होना चाहिए.
सांड का बाड़ा आरामदायक और बड़ा हो, जहां से वो दूसरे पशुओ को भी देख सके.
सांड की उम्र कम से कम ढाई साल और वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए.
कम उम्र के सांड को हफ्ते में दो या तीन बार ही ब्रीडिंग के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.
एक भैंस को गाभिन करने के बाद दूसरी भैंस के बीच कम से कम एक दिन का आराम दें.
भैस पर कुदाते समय सांड के साथ सख्त व्यवहार नहीं करना चाहिए.
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सांड को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा कसरत करानी चाहिए.
सांड की हर रोज मालिश करने के बाद उसे नहलाना चाहिए.
हर छह महीने के बाद सांड के खून की जांच करा लेनी चाहिए.
समय-सयम पर सांड में ब्रुसेलोसिस समेत दूसरे यौन रोग जांच करानी चाहिए.
चार्ट के मुताबिक सांड का टीकाकरण कराते रहना चाहिए.
एक्सपर्ट द्वारा बताई गई डाइट ही सांड को देनी चाहिए.
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