जून महीने में पशुपालक अपने पशुओं पर दें विशेष ध्यान, विभाग ने जारी किया विशेष कैलेंडर

जून महीने में पशुपालक अपने पशुओं पर दें विशेष ध्यान, विभाग ने जारी किया विशेष कैलेंडर

Animal husbandry: पशु और मत्स्य संसाधन विभाग ने जून महीना के लिए पशुओं को लेकर जारी किया विशेष कैलेंडर. इसमें जून की गर्मी में पशुओं के लिए छायादार शेड और स्वच्छ पानी की व्यवस्था करने की बात कही गई है.

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जून महीने में पशुपालक अपने पशुओं पर दें विशेष ध्यान, विभाग ने जारी किया विशेष कैलेंडर Animal husbandry: पशुपालन से ऐसे उठाएं लाभ

मई महीने में जहां मौसम का मिश्रित रूप देखने को मिला, वहीं जून में बढ़ते तापमान के कारण लोग गर्मी से परेशान हैं और इससे बचने के लिए कई उपाय कर रहे हैं. इसी तरह, पशुपालन से जुड़े किसानों को भी अपने पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए विशेष उपाय करने की आवश्यकता है. जून महीने में पशुओं की देखभाल और रखरखाव को लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों के लिए एक विशेष कैलेंडर जारी किया है. इसमें पशुओं की देखभाल और चारा प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

विभाग हर महीने पशुओं की देखभाल के लिए दिशा-निर्देश जारी करता है. जून महीने के लिए जारी इस विशेष कैलेंडर का पालन करके पशुपालक न केवल अपने पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रख सकते हैं, बल्कि उनकी उत्पादकता बढ़ाकर अपनी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं.

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पशुओं की आवासीय व्यवस्था और टीकाकरण जरूरी 

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा जारी कैलेंडर में बताया गया है कि पशुओं को एच.एस. और बी.क्यू. टीकाकरण से 10-15 दिन पहले डिवॉर्मिंग करवानी चाहिए, ताकि टीका अधिक प्रभावी हो. इसके अलावा पशुओं को प्रतिदिन 50-60 ग्राम खनिज मिश्रण और 20 ग्राम नमक देना चाहिए. इसके साथ ही, अधिक दूध देने वाली गायों और भैंसों को प्रतिदिन 70-100 मिलीलीटर तरल कैल्शियम और फॉस्फोरस पिलाना चाहिए. गर्म मौसम को ध्यान में रखते हुए, पशुओं के लिए छायादार शेड का निर्माण और स्वच्छ पानी की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए. बाह्य परजीवियों से बचाव के लिए पशु चिकित्सक की सलाह पर नियमित दवाएं देनी चाहिए.

चारा प्रबंधन को लेकर पशुपालक दें विशेष ध्यान

जून महीने में पशुओं के चारे पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. विभाग द्वारा जारी कैलेंडर में निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:

अप्रैल में बोई गई ज्वार को 2-3 बार देना चाहिए. वहीं, खरीफ चारे जैसे ज्वार, बाजरा, बोड़ा और दीनानाथ की बुआई शुरू कर देनी चाहिए, ताकि बरसात में अच्छी पैदावार मिल सके. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों से इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की अपील की है. वहीं, अधिक जानकारी के लिए पशुपालक अपने स्थानीय पशु चिकित्सक या पशुपालन कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं.

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