सिर्फ दूध उत्पादन ही नहीं, पशु की कीमत के हिसाब से भी उनकी देखरेख बहुत जरूरी हो जाती है. क्योंकि मौसम कोई भी हो वो पशु पर अपना असर डालता जरूर है. और अब तो क्लाइमेट चेंज के चलते मौसम में बहुत बदलाव आने लगा है. अब सर्दियों के दौरान भी कब बारिश हो जाए कोई पता नहीं. इसी तरह से भीषण गर्मी में कब ठंडी हवाएं चलने लगें ये भी तय नहीं है. इसीलिए एनिमल एक्सपर्ट पशुपालकों को सलाह देते हैं कि हर मौसम की शुरुआत से पहले उसकी तैयार कर लेनी चाहिए.
पशुओं के शेड से लेकर उसके खानपान और शेड से बाहर उसके चरने तक का प्लान बना लेना चाहिए. दुधारू भैंस की बात करें तो आज अच्छी नस्ल की और ठीक-ठाक दूध देने वाली भैंस की कीमत 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख तक है. अब अगर देखभाल के दौरान जरा सी भी लापरवाही होती है तो भैंस के मरने पर सीधे एक लाख रुपये का नुकसान होता है.
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अक्टूबर से जनवरी-फरवरी के बीच ही पशुओं की खरीद-फरोख्त भी खूब होती है. इसलिए हर लिहाज से इस मौसम में पशुओं की ज्यादा देखभाल बहुत जरूरी है. क्योंकि इस दौरान अगर पशु बीमार होते हैं तो उनका दूध कम हो जाता है. वहीं पशुपालक को इसका खामियाजा आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक यहां सर्दियों में क्या करें और क्या ना करें ये जानकारी दी जा रही है.
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सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें.
सर्दी के मौसम में पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए.
निमोनिया से बचाने को नमी और धुंए वाली जगह पर पशुओं को नहीं रखना चाहिए.
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