बकरी पालन किसानों की आय बढ़ाने के सबसे अच्छे तरीकों में माना जाता है. राजस्थान में पशुपालन ही किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों की आय का मुख्य साधन है. बकरी पालन भी एक ऐसा ही व्यवसाय है जिसमें किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. बकरियों में काफी नस्ल होती है, लेकिन राजस्थान में सिरोही नस्ल की बकरी का अपना ही स्थान है.
इस खबर में हम आपको सिरोही नस्ल की बकरी की पहचान, कीमत,वजन, बकरी पालन के तरीके, बच्चे देने की क्षमता और बकरी फार्म खोलने जैसी महत्वपूर्ण बताएंगे.
सिरोही नस्ल की बकरी का नाम राजस्थान के सिरोही जिले के नाम पर पड़ा है. यह बकरी मध्यम आकार की बकरी है, जिसका पालन मांस एवं दूध के लिए किया जाता है. सिरोही जिले के अलावा नागौर, सीकर, अजमेर, टोंक, उदयपुर, भीलवाड़ा में भी सिरोही नस्ल की बकरी पाई जाती हैं.
यह बकरी राजस्थान में अरावली पर्वत शृंखला के आसपास पाई जाती है. सिरोही बकरी के शरीर पर गोल भूर रंग के धब्बे होते हैं. इसके कान बड़े-बड़े होते हैं और सींग हल्के से घुमावदार होते हैं. बकरी की हाइट मध्यम आकार की होती है.
राजस्थान के किसान और पशुपालक सिरोही नस्ल की बकरियां पाल सकते हैं. क्योंकि राजस्थान गर्म और शुष्क वातावरण वाला राज्य है. लेकिन अगर आप देश के बाकी राज्यों से हैं तो 70 प्रतिशत क्रॉस सिरोही बकरी के साथ अपना फार्म शुरू कर सकते हैं. इससे बकरी के होने वाले बच्चे आपके वातावरण में आसानी से ढल जाएंगे.
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सिरोही नस्ल की बकरी को पालने में बड़ा फायदा यह भी है कि यदि आपके पास इन्हें चराने की व्यवस्था नहीं है तो इन्हें आसानी से स्टॉल फीडिंग सिस्टम पर पाल सकते हैं. इस नस्ल की बकरी कम ही उम्र में परिपक्व हो जाती हैं.
इसीलिए फार्म खोलते समय इनके लिए सूखे चारे की व्यवस्था अच्छे से करनी चाहिए. ताकि कम समय में बकरी का वजन अच्छा बना रहे.
साथ ही अच्छे तरीके से बकरी पालन के लिए किसी सर्टिफाइड संस्थान से बकरी पालन की ट्रेनिंग जरूर लेनी चाहिए. फार्म खोलने से पहले सिरोही नस्ल की बकरी के मार्केट के बारे में पूरी रिसर्च होनी चाहिए.
अगर आप सिरोही नस्ल की बकरी का फार्म खोलना चाहते हैं तो सही उम्र की बकरियों का चयन जरूरी है. बकरियों की सही उम्र में ही उनको क्रॉस कराना चाहिए स्वस्थ बच्चे पैदा हों.
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सिरोही नस्ल की बकरी करीब एक लीटर तक दूध देती है. हालांकि इसे खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. आमतौर पर एक बकरे का वजन 33 किलो और बकरी का वजन 30 किलो तक होता है. बाजार में इसकी कीमत 400 से 420 रुपए प्रति किलो तक हो सकती है. हालांकि यह कीमत उस बाजार या मंडी के हिसाब से भी तय होती है कि इसे कहां बेचा जा रहा है.
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