खेती किसानी से जुड़े कामों में कम लागत से ज्यादा मुनाफा कमाने के मामले में बकरी पालन को सबसे कारगर माना गया है. खासकर, लघु एवं सीमांत किसानों के लिए बकरी पालन बेहद मुफीद है. तमाम राज्य सरकारें Farmers Income बढ़ाने के लिए छोटे किसानों को बकरी पालन के लिए सहायता देने वाली योजनाएं चला रही है. इनमें Chhattisgarh Govt की बकरी पालन योजना प्रभावशाली परिणाम देने वाली योजना साबित हुई है. राज्य में मुंगेली जिले के युवा किसान कुलदीप ने इस योजना के जरिए बकरी पालन को अपना करियर बना लिया है. उन्होंने 10 बकरी से यह सिलसिला शुरू किया था. अब उनके पास 50 बकरी है और इससे वह सालाना 8 लाख रुपए तक कमा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बताया गया कि किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन को कारगर हथियार बनाते हुए सरकार ने पशुधन मिशन शुरू किया है. इसके तहत Animal Husbandry से जुड़ी योजनाओं का लाभ उठाकर पशुपालकों की समृद्धि की राह आसान हुई है.
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मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि मुंगेली में सोढ़ार गांव के रहने वाले किसान कुलदीप सिंह ने राज्य बकरी उद्यमिता विकास योजना के तहत बकरी पालन की शुरूआत की थी. इस योजना में लघु एवं सीमांत किसानों के अलावा Landless Farmers और खेतिहर मजदूरों को अनुदान पर बकरी पालन कराया जाता है. इसमें अधिकतम 1 लाख रुपये की लागत से 30 बकरी पालने के लिए सरकारी सहायता दी जाती है.
इस राशि से बकरी खरीदने, शेड बनाने और अन्य संसाधन जुटाए जा सकते हैं. इस पर सरकार सामान्य वर्ग के लाभार्थी को 25 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लाभार्थी को 33 फीसदी अनुदान भी देती है. इसकी लागत राशि सरकार द्वारा बैंक से फाइनेंस के जरिए मुहैया कराई जाती है.
कुलदीप सिंह ने बताया कि पशुधन मिशन का लाभ उठाते हुए उन्होंने अपनी समृद्धि की राह तय की है. इससे पहले वह सिर्फ खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. दो साल पहले उन्होंने पशुधन मिशन के बारे में जानकारी मिलने पर राज्य बकरी उद्यमिता विकास योजना के तहत बकरी पालन शुरू किया.
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इस योजना के तहत उन्होंने अनुदान प्राप्त कर देसी किस्म की 10 बकरी और 1 बीटल बकरा खरीद कर बकरी पालन का काम शुरू किया. अब उनके पास 50 बकरी हैं. इनमें 10 बकरियां बीटल, बारबेरी, जमुनापारी, तोताफरी, और ब्लैक बेंगाल जैसी उन्नत नस्लों की हैं.
कुलदीप ने बकरी पालन से लखपति बनने के बारे में बताया कि इन बकरियों से उन्हें प्रतिदिन औसतन 10 लीटर दूध मिल जाता है. बाजार में बकरी के दूध की कीमत भी अच्छी मिलती है. वह बकरी के दूध को 150 रुपये प्रतिलीटर की कीमत पर बेचते हैं. इससे उन्हें औसतन 1500 रुपये प्रतिदिन की आमदनी हो जाती है.
उन्होंने बताया कि बकरी पालन की लागत बहुत कम है. बकरियों को घर में हरी पत्ती, हरा बरसीम, चना, तिवरा, मसूर एवं अरहर का भूसा खिलाकर पाला जा सकता है. इस प्रकार बकरी का भोजन आसानी से गांव घर में ही उपलब्ध हो जाता है. इसके लिए बाजार पर निर्भरता नहीं रहती है.
इस काम में खर्च के बारे में उन्होंने बताया कि बकरियों के रखरखाव, पालन पोषण, दवा आदि पर औसतन लगभग 03 लाख रुपए खर्च होते हैं. इस प्रकार कुल खर्च को हटाकर लगभग 07 से 08 लाख रुपए की सालाना आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस काम में दूध की बिक्री के साथ बकराें को भी बेच दिया जाता है. बकरा बेचने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है. इनके खरीददार गांव में ही आकर बकरा खरीद लेते हैं.
मुंगेली जिले के कलेक्टर राहुल देव ने कुलदीप द्वारा किए जा रहे Goat rearing के काम काे देखने के बाद बताया कि अब इलाके के अन्य किसान भी प्रेरित होकर बकरी पालन करने लगे हैं. जिला प्रशासन ने पशुधन विभाग को बकरी पालन योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं.
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