बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना ने बुधवार को हर्षोल्लास के साथ अपना 98वां स्थापना दिवस मनाया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि, बिहार सरकार के सूचना एवं प्रावैधिकी मंत्री कृष्णा कुमार मंटू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों और पुस्तकालयों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे समाज में साक्षरता दर को और अधिक बढ़ाया जा सके. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय(बासु)के कुलपति, डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय जल्द ही "कैप्सूल कोर्स" शुरू करेगा, जिससे फील्ड में कार्यरत लोग नवीनतम तकनीकों को सीखकर लाभान्वित हो सकेंगे.
इस ऐतिहासिक अवसर पर महाविद्यालय के कई पूर्व छात्र, शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के डीन, डॉ. जे.के. प्रसाद ने की. अपने संबोधन में उन्होंने बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना और उसके गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति और महाविद्यालय के डीन द्वारा प्रैक्टिकल मैनुअल का विमोचन भी किया गया.
मंत्री कृष्णा कुमार मंटू ने अपने संबोधन में कहा कि अविभाजित भारत का पांचवां सबसे पुराना पशु चिकित्सा महाविद्यालय अब अपने शताब्दी वर्ष के करीब पहुंच चुका है, जो पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि यह संस्थान पशु चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है और इसकी निरंतर प्रगति अत्यंत सराहनीय है. आगे उन्होंने शिक्षा और तकनीकी ज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि राज्य के विकास की कुंजी शिक्षा है, और जब शिक्षा के साथ तकनीक का समावेश होगा, तभी "विकसित भारत" की परिकल्पना साकार हो सकेगी.
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय तेजी से उभर रहा है और समाज के उत्थान में सहायक साबित हो रहा है. विश्वविद्यालय जल्द ही "कैप्सूल कोर्स" शुरू करेगा, जिससे फील्ड में कार्यरत लोग नवीनतम तकनीकों को सीखकर लाभान्वित हो सकेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि विश्वविद्यालय अंतर-संस्थागत विनिमय कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसके तहत यहां के विद्यार्थी और शिक्षक अन्य राज्यों के वेटरनरी और डेयरी संस्थानों में जाकर अध्ययन और शोध कर सकेंगे. इसी तरह, अन्य संस्थानों के विद्यार्थी और शिक्षक भी यहां आकर अध्ययन कर सकेंगे, जिससे तकनीकी ज्ञान और व्यवस्थाओं का आदान-प्रदान संभव होगा.
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