
वर्ल्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) ने अपने लेटेस्ट क्लाइमेट अपडेट में बताया है कि आने वाले तीन महीनों में कमजोर ला नीना की स्थिति बनने की 55% संभावना है. इसके बावजूद, दुनिया के कई इलाकों में तापमान नॉर्मल से ज्यादा गर्म रहने का अनुमान है, जिसमें भारत भी शामिल है. यानी इस बार भी सर्दी पहले की तुलना में कुछ हल्की रह सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2025 के मध्य में हल्की एक्टिविटी वाला ला नीना विकसित हुआ था और अब तक इसकी तीव्रता कमजोर ही बनी हुई है. दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के दौरान इसके ला नीना थ्रेशहोल्ड पार करने के 55% चांस बताए गए हैं. इसका मतलब है कि स्थिति पूरी तरह एक्टिव होने की संभावना कम है.
ला नीना वह स्थिति है जब सेंट्रल और ईस्टर्न इक्वेटोरियल पैसिफिक महासागर की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है. इसके साथ हवा, दबाव और बारिश के बड़े पैमाने पर पैटर्न बदलते हैं, जिनका असर दुनिया के मौसम पर पड़ता है.
WMO के अनुसार, जनवरी-मार्च और फरवरी-अप्रैल 2026 के दौरान ENSO-न्यूट्रल स्थिति में लौटने की संभावना 65% से बढ़कर 75% तक पहुंच सकती है. वहीं, अल नीनो बनने की संभावना बेहद कम बताई गई है.
WMO सेक्रेटरी-जनरल सेलेस्टे साउलो ने कहा कि अल नीनो और ला नीना को लेकर सीजनल फोरकास्ट कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और ट्रांसपोर्ट जैसे क्लाइमेट-सेंसिटिव सेक्टरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण प्लानिंग टूल हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी क्लाइमेट इंटेलिजेंस से करोड़ों डॉलर के नुकसान को रोका जा सकता है और असंख्य जानें बचाई जा सकती हैं.
नेशनल मेट्रोलॉजिकल एंड हाइड्रोलॉजिकल सर्विसेज (NMHSs) आने वाले महीनों में स्थिति पर करीबी नजर रखेंगे ताकि सरकारों और संगठनों को समय पर जरूरी जानकारी मिलती रहे.
WMO ने यह भी स्पष्ट किया कि ला नीना और अल नीनो जैसी प्राकृतिक घटनाएं अब क्लाइमेट चेंज के साथ बढ़ रही हैं, जिससे विश्व का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है और चरम मौसम की घटनाओं में तेजी आई है.
लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक, उत्तरी गोलार्ध के ज्यादातर हिस्सों और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्सों में तापमान नॉर्मल से ज्यादा रहने की उम्मीद है. बारिश का अनुमान उन हालात जैसा है जो आमतौर पर कमजोर ला नीना के दौरान देखे जाते हैं.
भारत के अधिकांश हिस्सों में ठंड भले कमजोर हो, लेकिन कश्मीर को लेकर कुछ अलग ही अपडेट दिया गया है. मौसम विभाग के मुताबिक, कश्मीर में इस साल दिसंबर से शुरू होने वाली सर्दियों में मौसम में बड़े बदलाव होने की उम्मीद है. मंगलवार को जारी एक बयान में, विभाग ने कहा कि मौजूदा मौसम के पैटर्न और हिमालयी क्षेत्र पर ला नीना के खास असर से तापमान मौसमी औसत से नीचे जा सकता है. उसने बताया कि रात का तापमान सामान्य से ज्यादा बार फ़्रीजिंग पॉइंट से काफी नीचे जा सकता है.
MeT ने कहा, "इस साल चिल्लई कलां (दिसंबर के आखिर से जनवरी के आखिर तक) ज्यादा सख्त और ज्यादा चुभने वाला हो सकता है."
विभाग ने आगे कहा कि ला नीना वाले सालों में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ज्यादा मजबूत होते हैं, जिससे दिसंबर में जल्दी बर्फबारी की संभावना बढ़ जाती है. उसने कहा, "जनवरी और फरवरी में बर्फबारी ज्यादा बार हो सकती है, और मैदानी इलाकों में भी आम साल के मुकाबले ज्यादा बर्फबारी हो सकती है."
अधिकारियों ने पहले और ज्यादा लगातार पाला पड़ने की भी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, "इससे सुबह-सुबह बर्फबारी हो सकती है, पानी के पाइप जम सकते हैं, और सड़कों पर ज्यादा देर तक काली बर्फ जम सकती है."