महाराष्ट्र में लगातार बाढ़ और बारिश झेल रहे किसानों और आमजन के लिए एक राहत भरी खबर है. दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 8 अक्टूबर के आसपास राज्य से वापसी शुरू कर सकता है. यह खबर किसानों और प्रशासन के लिए राहत भरी है, क्योंकि पिछले दो हफ़्तों में मराठवाड़ा क्षेत्र में मूसलाधार बारिश ने फसलों और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है. वहीं, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने गुरुवार को मराठवाड़ा में हल्की बारिश का अनुमान लगाया है, जिसकी तीव्रता शुक्रवार को थोड़ी बढ़ने की उम्मीद है.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 29 सितंबर से राज्य के अधिकांश हिस्सों में मौसम काफी हद तक स्थिर बना हुआ है. हालांकि, 2 अक्टूबर यानी दशहरा से लेकर 7 अक्टूबर के बीच विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में गरज के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है. वहीं, विदर्भ में तेज आंधी-तूफ़ान की संभावना भी जताई गई है.
2 से लेकर 7 अक्टूबर तब होने वाली बारिश को लेकर कृषि विभाग ने किसानों से कटी हुई फसलों को बारिश और तेज हवाओं से बचाने की अपील की है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि 7 अक्टूबर से मौसम की स्थिति स्थिर होने की संभावना है, जिससे 8 अक्टूबर के आसपास महाराष्ट्र से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के रिकॉर्ड के अनुसार, महाराष्ट्र से मॉनसून की वापसी की सामान्य तारीख 8 अक्टूबर है. हालांकि, 2019 से वापसी में लगातार कम से कम एक सप्ताह की देरी हो रही है. IMD के आंकड़ों से पता चलता है कि मॉनसून 2024 में 15 अक्टूबर को, 2023 और 2022 में 23 अक्टूबर को, 2021 में 14 अक्टूबर को, 2020 में 28 अक्टूबर को और 2019 में 14 अक्टूबर को वापस लौटा था. बता दें कि 2001 से, वापसी सामान्य तारीख पर या उससे पहले केवल चार बार हुई है, जिसमें 2018 भी शामिल है.
महाराष्ट्र में 1 जून से चालू मॉनसून सीज़न में, लगभग 60 लाख हेक्टेयर से अधिक की फसलें नष्ट हो गई हैं और लगभग 3,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं. लगातार हो रही बारिश से महाराष्ट्र में खरीफ सीजन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. सोयाबीन और कपास जैसे नकदी फसलों के साथ ही केला, संतरा और मौसमी जैसी बागवानी फसलों की बर्बादी से किसान कर्ज और आर्थिक तंगी की चपेट में आ गए हैं.