जून-जुलाई के महीने में लोग मॉनसून के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं. खासकर किसानों की बात करें तो किसानों की सबसे ज्यादा निर्भरता खरीफ फसलों की बुआई के लिए मॉनसून पर रहती है. वहीं देश में मॉनसून का आगमन सबसे पहले केरल में होता है, फिर उसके बाद अलग-अलग राज्यों में मॉनसून की एंट्री देखी जाती है. यही कारण है कि लोग केरल में मॉनसून के आगमन का सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं. ऐसे में इस बार जहां सबसे पहले मॉनसून की एंट्री होती है, इस बार उसी केरल में पानी का संकट मंडरा रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक 1 जून से 16 अगस्त के बीच राज्य में सिर्फ 877.2 मिलीमीटर की वर्षा दर्ज की गई.
वहीं दक्षिण पश्चिम राज्यों में मॉनसून की वजह से राज्य में सामान्य वर्षा 1,572.1 मिलीमीटर मानी जाती है. ऐसे में अगर इन आंकड़ों पर नजर डालें तो इस सीजन में 44 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. जो किसी बड़े संकट की ओर इशारा करता नजर आ रहा है.
10 अगस्त से 16 अगस्त तक सात दिनों की हुई बारिश से पता चलता है कि स्थिति कितनी गंभीर है. इस दौरान 94 फीसदी कम बारिश हुई. इस दौरान 6.5 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 109.6 मिमी है. केरल की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना के गढ़ इडुक्की में इस सीजन में 16 अगस्त तक 60 फीसदी कम बारिश हुई है. जो अपने आप में एक चिंता का विषय है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (केरल) के निदेशक के संतोष ने पीटीआई को बताया, ''अगले दो सप्ताह के लिए बारिश का पूर्वानुमान भी सामान्य से कम बारिश का संकेत देता है.''
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इस बीच, केरल में बिजली उत्पादन की रीढ़ माने जाने वाले इडुक्की जलाशय में जल स्तर सबसे कम हो गया है. राज्य में पेयजल जलाशयों की स्थिति भी कम और ज्यादा वैसी ही है. आगामी पूर्वोत्तर मानसून के दौरान कम बारिश होने पर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में जल आपूर्ति प्रभावित होगी.
केरल जल प्राधिकरण के सहायक इंजीनियर (बांध) सौम्या एस ने कहा, ‘‘ फिलहाल हमारे पास पेप्परा बांध में अगले 100 दिनों के लिए पानी उपलब्ध है. यदि उत्तपूर्व मॉनसून की वर्षा नहीं होती है तो चीजें मुश्किल हो सकती हैं”. इस साल राज्य में खासकर इडुक्की और पलक्कड़ में फसलें पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर है.
सनाथनपारा के एक आदिवासी किसान एसपी वेंकटचलम ने कहा, “जनवरी के बाद से हमारे यहां केवल दो या तीन बार बारिश हुई है. बीज बोने का समय हो गया है लेकिन पानी नहीं है. हमें गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है.' कृषि कार्यालय ने हमें ओणम बाजार के लिए सब्जियों के बीज दिए हैं लेकिन हम कुछ नहीं कर सके क्योंकि बीज बोने के लिए पानी की कमी पूरे राज्य में है.”