उत्तराखंड के बागेश्वर में पिछले तीन दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश से गेहूं की पकी फसल को खासा नुकसान पहुंचा है. किसानों ने फसल काट कर खेतो में ढंककर रखी थी. यहां के कपकोट के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ओलावृष्टि से सब्जी की खेती पर भी असर पड़ा है. लगातार बारिश से गेहूं की फसल के काला पड़ने की आशंका भी बढ़ रही है. बागेश्वर में गुरुवार को बादल फट गया था.
बादल फटने से जंगलों को तो थोड़ी राहत मिली लेकिन कई जिंदगियां और फसलें खतरे में आ गईं. उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से जंगल में लगी आग की वजह से काफी नुकसान हुआ था. बादल फटने से धधक रही जंगलों की आग बारिश होने से बुझ गई है. लेकिन नदी-नीले अब उफान पर है. बागेश्वर जिले के कांडा, कपकोट, गरुड़, काफलीगैर और दुगनाकुरी तहसीलों में करीब 16 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल होती है.
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गरुड़ क्षेत्र में गेहूं की सर्वाधिक पैदावार होती है. इन दिनों घाटी वाले क्षेत्रों में गेहूं की फसल की कटाई और मढ़ाई का काम शुरू हो गया है. जबकि ग्रामीण इलाकों में फसल तैयार हो रही है. ऐसे में बारिश होने से गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुचंने की आशंका बनी हुई है. कई जगहों पर काटी गई फसल भीगकर खराब हो रही है तो कहीं खेतों में तैयार हो रही गेहूं की बालियों को नुकसान हुआ है.
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तेज हवाओं से भी गेहूं की पकी फसल खेतों में गिर गई है. इससे अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाए किसान मायूस हैं. वहीं बागेश्वर के कपकोट के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ओलावृष्टि से सब्जी की नर्सरी और पौधों का भारी नुकसान पहुंचा है. बारिश और ओलावृष्टि से किसान तो परेशान हैं ही साथ ही साथ काश्तकार भी काफी मायूस हैं. बागेश्वर में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. मौसम विभाग ने यहां रविवार तक बारिश का अलर्ट जारी किया है.
(बागेश्वर से जगदीश पांडे की रिपोर्ट)