
देश के मध्य भाग में कड़ाके की ठंड का दौर जारी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी की है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 16 नवंबर तक शीतलहर की स्थिति बनी रहेगी. पश्चिम मध्य प्रदेश में 13 और 14 नवंबर को भीषण शीतलहर के हालात रहेंगे, जबकि 15 और 16 नवंबर को भी ठंड का असर जारी रहेगा. बीते दिन कई हिस्सों में तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे दर्ज किया गया. राजगढ़ (मध्य प्रदेश) और अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) में न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो इस सीजन का सबसे कम तापमान है. जानिए देशभर में आज मौसम कैसा रहेगा…
मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटे में तापमान में खास बदलाव नहीं देखा गया. अधिकतम तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया. वहीं, न्यूनतम तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री नीचे बना हुआ है. गुरुवार सुबह पालम और सफदरजंग में हल्का कोहरा छाया रहा, जहां न्यूनतम दृश्यता 800 मीटर तक रही. आने वाले तीन दिनों तक दिल्ली में साफ आसमान, हल्की धुंध और ठंडी हवाओं का दौर जारी रहेगा.
आईएमडी के मुताबिक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और रायलसीमा में अगले कुछ दिनों तक मौसम बिगड़ा रहेगा. तमिलनाडु में 13 और 16 से 18 नवंबर तक भारी बारिश की संभावना है, जबकि केरल और माहे में 17 से 19 नवंबर तक तेज बारिश के आसार हैं.
इसके अलावा तटीय आंध्र प्रदेश और रायलसीमा में भी 17 से 19 नवंबर के बीच बारिश और गरज-चमक की संभावना जताई गई है. IMD ने मछुआरों को सलाह दी है कि वे 18 नवंबर तक दक्षिण तटों, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के कई हिस्सों में समुद्र में न जाएं.
मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तरी और पूर्वोत्तर भारत में अगले पांच दिनों तक हल्के से लेकर मध्यम कोहरा छाए रहने की संभावना है. हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी यूपी, बिहार, असम और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में सुबह-सुबह धुंध छाई रहेगी.
IMD ने किसानों को आगाह किया है कि वे मौसम के अनुसार जरूरी कदम उठाएं.
तमिलनाडु के किसानों को सलाह दी गई है कि धान और मूंगफली की फसल केवल साफ मौसम में काटें और खेतों से अतिरिक्त पानी की निकासी की व्यवस्था करें. केले के पौधों को गिरने से बचाने के लिए लकड़ी के सहारे दें.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसान शाम के समय फसलों में हल्की सिंचाई करें, ताकि फसलें ठंड के प्रभाव से बची रहें. सब्जियों की नर्सरी या छोटे पौधों को पॉलिथीन या सूखे पत्तों से ढकें.
पशुपालकों को सलाह है कि वे पशुओं को रात में शेड के अंदर रखें और सूखे बिछावन का इस्तेमाल करें.
वहीं, बारिश संभावित क्षेत्र में मत्स्यपालकों को तालाबों के चारों ओर जाल लगाकर पानी की निकासी की व्यवस्था करने को कहा गया है, ताकि मछलियां बहकर बाहर न जाएं.