गेहूं और सरसों पर मौसम का असरअगले दस दिनों में देश के अधिकांश हिस्सों में मौसम का मिजाज बदलने वाला है. ठंड का असर धीरे-धीरे बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में इसमें और तेजी देखी जाएगी. मौसम एक्सपर्ट बताते हैं कि अगले 10-12 दिनों में पटना से लेकर वाराणसी और आसपास के इलाकों में तापमान में गिरावट होने वाली है और ठंड में इजाफा होगा. फिलहाल, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और पश्चिमी यूपी के कुछ हिस्सों और राजस्थान में तापमान में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. राजस्थान के पिलानी और हरियाणा के हिसार में तेजी से तापमान गिरा है जिससे ठंड बढ़ी है. पिलानी में 10 डिग्री तो हिसार में 5 डिग्री तक तापमान नीचे पहुंच गया है. हालांकि पूर्वी यूपी, बिहार और झारखंड में अभी तापमान सामान्य से ऊपर बना हुआ है क्योंकि इन क्षेत्रों में नमी का प्रवाह अभी देखा जा रहा है.
बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक सर्कुलेशन बना हुआ है जो अभी बहुत प्रभावी नहीं है और न ही किसी तरह का बड़ा प्रभाव छोड़ने वाला है. लेकिन एक ट्रॉपिकल स्ट्रॉर्म के बंगाल की खाड़ी में पहुंचने से लो प्रेशर बना है. भारत से दूर अभी थाइलैंड, म्यांमार और फिलीपींस में दो तूफानों का असर देखा जा रहा है लेकिन इनका भारत पर कोई प्रभाव होता नहीं दिखता. इन दोनों तूफानों या साइक्लोनिक सर्कुलेशन का असर भारत में किसी तरह के बारिश के रूप में नहीं देखा जाएगा.
इसके अलावा, भारत में अभी कोई जल्दी पश्चिमी विक्षोभ भी नहीं आने वाला है. हालांकि 13-14 नवंबर के आसपास एक हल्का विक्षोभ आ सकता है जिससे पहाड़ों में बारिश या बर्फबारी के आसार हैं. मुख्य तौर पर देखें तो पहाड़ों पर भी अभी किसी बड़ी मौसम गतिविधि की संभावना नहीं है.
उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हाल में हुई बर्फबारी से ठंडी और शुष्क हवाएं चली हैं जिससे पहाड़ों में तापमान तेजी से गिर रहा है. हालांकि ये तेजी इतनी भी नहीं है कि पहाड़ों पर बर्फबारी हो जाए. अभी 20 नवंबर तक किसी तरह की बर्फबारी देखने को नहीं मिलेगी. इन क्षेत्रों में आसमान साफ रहेगा, धूप खिलेगी, लेकिन सुबह और रात में अच्छी सर्दी रहेगी. मैदानी इलाकों की बात करें तो राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी यूपी के इलाकों में तापमान तेजी से गिरना शुरू हो गया है.
बरसात की बात करें तो अगले 10 दिनों तक देश के अधिकांश इलाकों में मौसम साफ रहेगा. हिमाचल प्रदेश से लेकर नीचे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी और झारखंड तक किसी तरह की बारिश देखने को नहीं मिलेगी. देश के ऊपरी हिस्से से लेकर नीचे दक्षिण भारत और ओडिशा तक पश्चिमी हवाएं चलेंगी जिससे मौसम बिल्कुल साफ रहेगा और धूप अच्छी खिलेगी. दिन में तापमान थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन तेज हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान में गिरावट आएगी.
एक्सपर्ट के मुताबिक, पूरे देश में मौसम अभी साफ है और अगले 10-15 दिन ऐसी ही स्थिति रहेगी. इसलिए किसान बिना किसी टेंशन के अभी फसलों का काम निपटा सकते हैं. अगर फसल में सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है, तो अभी बारिश से मदद नहीं मिलने वाली है क्योंकि इसकी संभावना नहीं दिख रही.
तमिलनाडु और केरल के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो बरसात की कोई संभावना नहीं है. अभी का मौसम गेहूं और सरसों के लिए सही दिख रहा है क्योंकि दोनों फसलें अपने शुरुआती चरण में हैं और ऐसे नाजुक समय पर बारिश हो जाए तो मिट्टी में नमी बढ़ सकती है और इससे बुवाई आदि का काम पिछड़ सकता है.
गेहूं की बुवाई का काम अक्तूबर अंत से मध्य नवंबर तक होता है और अभी इसकी खेती चल रही है. इसके लिए तापमान भी उपयुक्त बना हुआ है, इसलिए कृषि वैज्ञानिक बुवाई का काम समय से निपटा लेने की सलाह दे रहे हैं. मॉनसून की अच्छी बारिश से मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी हुई है जिससे किसानों को अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होगी. मिट्टी में जब तक उचित नमी बनी हुई है तब तक किसानों को किसी भी तरह की सिंचाई से बचने की सलाह दी जा रही है.
सिंचाई और लागत में कमी के लिए जरूरी है कि किसान तय समय पर ही गेहूं की बुवाई का काम निपटा लें. हालांकि गेहूं की बुवाई का समय कुछ राज्यों में अलग-अलग है. यूपी से लेकर बिहार और झारखंड तक किसान नवंबर के पहले हफ्ते से शुरू कर दिसंबर तक बुवाई करते हैं. इस लिहाज से इन राज्यों में भी गेहूं की बुवाई का अभी सही मौसम चल रहा है.
अब बात कर लेते हैं सरसों की. अधिकांश जगहों पर सरसों की बुवाई का काम निपट चुका है और खेतों में इसके पौधे भी आ गए हैं. सरसों की पैदावार तब अच्छी देखी जाती है जब तापमान 15 से 25 डिग्री के बीच चल रहा हो. अभी का तापमान लगभग यही बना हुआ है. इस लिहाज से सरसों के लिए मौसम अभी अनुकूल है.
हालांकि अगर सरसों में सिंचाई की जरूरत है तो अभी किसानों को निराशा हाथ लगने वाली है क्योंकि किसी तरह के बरसात की संभावना नहीं है. किसान को खुद के साधन से ही हल्की सिंचाई करनी होगी. गेहूं में सिंचाई की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए गेहूं की बुवाई किसान आसानी से कर सकते हैं.
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