मार्च महीने में छह पश्चिमी विक्षोभों के बाद अप्रैल महीने का पहला वेस्टर्न डिस्टर्वेंस तीन अप्रैल से शुरू हो रहा है. इसका असर प्रदेश के नौ जिलों में रहेगा. बीकानेर, जोधपुर और जयपुर संभाग के इन नौ जिलों में दोपहर बाद बारिश, आंधी और ओलावृष्टि होने की पूरी संभावना है. मौसम केन्द्र, जयपुर के अनुसार यह सिस्टम पूर्वी पाकिस्तान में बना है. इसका असर राजस्थान के साथ-साथ पंजाब और जम्मू-कश्मीर में देखने को मिलेगा. इससे पहले रविवार रात को बीकानेर और श्रीगंगानगर जिले के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी दर्ज हुई.
पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर जिले के खाजूवाला में दो, गंगानगर में 2.5 और रावला में दो एमएम बारिश दर्ज हुई. आसमान में बादल आज भी छाए हुए हैं.
मौसम केन्द्र जयपुर के पूर्वानुमान के मुताबिक तीन अप्रैल सोमवार को हनुमानगढ़, जैसलमेर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर में बारिश हो सकती है. इसके अलावा जयपुर संभाग के सीकर, झुंझुनूं, अलवर जिलों में भी कई जगह ओलावृष्टि और बूंदाबांदी हो सकती है. मौसम में होन वाले इस बदलाव से तापमान में भी कमी होगी. इसके साथ ही रात के समय भरतपुर, करौली, धौलपुर और दौसा क्षेत्र में भी हल्की बूंदाबांदी होने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है.
राजस्थान में पिछले दो दिन से बारिश नहीं हुई है. इसके चलते आसमान साफ रहा और तापमान में वृद्धि दर्ज हुई. रविवार को बाड़मेर में अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ. वहीं, जैसलमेर में भी लगातार दूसरे दिन तापमान 36 डिग्री सेल्सियस के ऊपर दर्ज हुआ. सिर्फ अलवर में तापमान 30 डिग्री से नीचे दर्ज किया गया. बाकी शहरों में पारा 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया.
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राजस्थान में मौसम विभाग के 34 केन्द्र हैं. इनमें से बांसवाड़ा केन्द्र में सबसे अधिक 37.3 डिग्री तापमान सोमवार को रहेगा. वहीं, न्यूनतम तापमान चित्तौड़गढ़ में 15.3 डिग्री दर्ज किया जाएगा. इसके अलावा बाड़मेर में अधिकतम तापमान 36.3, कोटा में 35, बूंदी 36.4, डूंगरपुर 35.9 डिग्री रहेगा.
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प्रदेश में अगले 15 दिन मौसम के लिहाज से संवदेनशील रहने वाले हैं. इसीलिए किसानों को अपनी फसल की सुरक्षा चाक-चौबंद रखनी होगी. जिन किसानों ने खेतों से फसलें काट लीं हैं, वे मंडी ले जाते समय वहां उपज को ढंककर रखें. ताकि बारिश की स्थिति में उपज भीगे नहीं. वहीं, जिन किसानों ने फसलें काटकर खेतों में रखी हैं, वे अपनी उपज किसी ऊंचे स्थान पर तिरपाल से ढंककर रखें.
मौसम विभाग ने भी अपनी कृषि एडवायजरी में किसानों को यही सलाह दी है. मार्च महीने में लगातार बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की गेहूं, सरसों, चना की फसल में सबसे अधिक नुकसान हुआ था.
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