
आजकल देश के कई इलाकों से मौसमी मार की खबरें आ रही हैं. उत्तर भारत का लगभग हर हिस्सा बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से त्रस्त है. कई फसलें मारी गई हैं जिनमें गेहूं सबसे प्रमुख है. उसके बाद चना, सरसों, सब्जियां आदि शामिल हैं. राजस्थान में चलें तो इसबगोल है और मध्य प्रदेश में सोयाबीन. महाराष्ट्र में धनिया से लेकर मक्का और प्याज तक. पंजाब, हरियाणा में गेहूं और सरसों खासे प्रभावित हैं. लेकिन पंजाब में एक फसल और भी है जिस पर मौसम की सबसे खतरनाक मार पड़ी है. ये है फूलों की खेती.
संगरूर में दो दिन पहले हुई बारिश और ओलावृष्टि ने फूलों की खेती को पूरी तरह से चौपट कर दिया है. यहां के कई किसान नकदी फसल के तौर पर फूलों की खेती करते हैं जिससे उन्हें बाजार से अच्छी कमाई हो जाती है. लेकिन इस बार उन्हें भारी नुकसान हुआ है. संगरूर के किसान फूलों को नहीं बेचते बल्कि उसके बीज का कारोबार करते हैं. हालिया बारिश और ओलावृष्टि ने फूलों को ऐसा नुकसान पहुंचाया है कि सभी बीज खेतों में झड़ गए हैं. अब इन बीजों का कुछ नहीं हो सकता.
नुकसान की सबसे बड़ी खबर संगरूर के गांव गिदड़यानी से आई है. यहां के किसान बेहद मायूस हैं क्योंकि कुछ साल से ही वे फूलों और उसके बीजों का कारोबार कर रहे हैं. हाल के बरसों में उन्हें मुनाफा भी अच्छा होने लगा था. मगर इस बार तो सभी किए-धरे पर पानी फिर गया. जैसे ही हार्वेस्टिंग का समय आया, वैसे ही बारिश और ओलों ने सबकुछ चौपट कर दिया. किसान अभी भारी संकट से गुजर रहे हैं.
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संगरूर के गांव गिदड़यानी के किसान फूलों के बीजों का निर्यात विदेशों में करते हैं. यहां तक कि कई विदेशी कंपनियां इन किसानों से सीधे तौर पर बीज खरीदती हैं. इन किसानों के लिए यह भारी मुनाफे का सौदा है. मगर इस बार यह सौदा भारी घाटे में चला गया है क्योंकि हालिया ओलावृष्टि ने फूलों के बीजों को झाड़ कर रख दिया है. बारिश से ये बीज सड़ने भी लगे हैं. इन्हें खेत से उठाया भी नहीं जा सकता.
गांव गिदड़यानी के किसानों का कहना है कि यहां दूर-दूर से लोग फूलों के खेत में फोटो खिंचाने आते थे. जहां तक नजर जाती थी, फूल ही फूल नजर आते थे. इस बार ऐसा नहीं है. अब ये सभी फूल बर्बाद हो चुके हैं. किसानों का कहना है कि उनका घर पता नहीं कैसे चलेगा. जब कमाई ही नहीं होगी तो खर्च कहां से निकलेगा. किसानों की मांग है कि सरकार अधिक से अधिक मुआवजा दे तभी वे अगले सीजन में फूलों की खेती के लिए तैयार होंगे, वर्ना उनका ध्यान इससे हटेगा. वे फिर गेहूं-धान की तरफ रुख करेंगे.
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गिदड़यानी के एक किसान हरमनप्रीत सिंह कहते हैं, धान और गेहूं के जंजाल से निकलकर हमने फूलों की खेती की. पिछले 10 साल से यहीं काम कर रहे हैं, लेकिन इस बार जो नुकसान हुआ है वह बहुत ज्यादा है. ओलावृष्टि ने हमारी फूलों की फसल बर्बाद कर दी है. इस इलाके में 200 एकड़ से ज्यादा फूलों की फसल प्रभावित हुई है. बारिश और ओलावृष्टि से फूलों के बीज जमीन पर गिर गए हैं और खेत में पानी लगने से खराब होना शुरू हो गया है.
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