Machhali Palan: मछली पालन में व्यवसाय का एक अच्छा तरीका है. उत्तर प्रदेश में किसान बड़े पैमाने पर मछली पालन कर रहे हैं. इसी क्रम में बाराबंकी जिले के मसौली इलाके के रहने वाले किसान अमित श्रीवास्तव मछली पालन से सालाना 9 से 10 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. किसान तक से बातचीत में उन्होंने बताया कि बीते 4 वर्ष पहले गोंडा -बहराइच रोड पर स्थित बादशाह शरीफ गांव के पास तालाब खुदवाकर 8 एकड़ में मछली पालन का काम शुरू किया था. आज उनके पास 12 ग्रो पोंड है. जिनमें 6 प्री नर्सरी और 2 बड़ी नर्सरी है. छोटे-छोटी मछलियां उसमें डाली जाती हैं और फिर जब वह बड़ी हो जाती हैं, तो उन्हें बड़े तालाब में छोड़ दिया जाता है. इनमें बेकरी प्रजाति की मछली का पालन ज्यादा करते हैं, क्योंकि बाजारों में इसकी काफी डिमांड रहती है. मछली पालक अमित ने बताया कि कोलकाता से बेकरी मछली के बीज को मंगाते है. हालांकि, लोकल स्तर पर भी अब मछली का बीज मिलने लगा है.
वहीं मछली का जो दाना काफी महंगा मिलता है. दाना बनाने वाली कई कंपनियां आज बाजार में मौजूद है, लेकिन जो क्वालिटी देना चाहिए वो नहीं दे पाती है. जबकि मनमानी रेट से मछलियों के दानों को बेचा जा रहा है. अगर मुनाफे की बात करें तो खर्च निकाल करके करीब 9 से 10 लाख रुपए तक बचत होती है. उन्होंने बताया कि एक साल में 800 से 1000 क्विंटल बेकरी मछली का उत्पादन हो जाता है. मछली पालक अमित आगे बताते हैं कि सारा माल बाराबंकी और लखनऊ की मछली मंडी में बिकने के लिए जाता है. स्नातक तक की पढ़ाई कर चुके अमित श्रीवास्तव ने बताया कि 130 रुपये प्रति किलो के रेट से बेकरी मछली बिक जाती है. इस व्यवसाय में कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मछली पालन को लेकर सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना चलाई जाती है, लेकिन हमने इसका लाभ कभी नहीं लिया. अगर भविष्य में इसकी आवश्यकता पड़ेगी तो इसका फायदा जरूर लेंगे. मछली पालक अमित ने बताया कि अगर आपको मछलियां पलानी हैं तो यह बहुत जरूरी है कि आपके पास ट्यूबवेल हो. अगर आपके पास ट्यूबवेल नहीं होगा, तो आपको तालाब में बराबर ताजा पानी छोड़ने में समस्या आ सकती है. इससे मछलियों की वृद्धि सही गति से नहीं हो पाएगी.
अमित ने बताया कि तालाब में चूना का इस्तेमाल 15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 15 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए. मछलियों संक्रमण से बचाने के लिए प्रति एकड़ 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट या 500 मिलीग्राम प्रति एकड़ की दर से वाटर सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें. तालाब का पानी ज्यादा हरा होने पर चूना और रासायनिक खाद का इस्तेमाल बंद कर दें और 800 ग्राम कॉपर सल्फेट का इस्तेमाल पानी में घोलकर करें. मछलियों को फफूंद रोग से बचाने के लिए माह में लगातार एक हफ्ते तक प्रति किग्रा पूरक आहार में 5-10 ग्राम नमक मिलाकर खिलाना चाहिए. इस विधि से मछलियों का उत्पादन अच्छा होगा, वहीं किसानों की मोटी आमदनी होगी.