फलों की खेती में सफलता की कहानी लिख रहीं उत्तराखंड की दो बहनें, लाखों में है कमाई

फलों की खेती में सफलता की कहानी लिख रहीं उत्तराखंड की दो बहनें, लाखों में है कमाई

खेती की शुरुआत करने को लेकर नमिता बताती हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान पहली बार वो देहरादून में अपनी बहन के गई थीं. वहां उन्होंने देखा कि 10 बीघा जमीन पर सिर्फ घास और जंगली बेल लगे हैं. हालांकि उस जमीन पर उन्होंने आंवले से लदा एक पेड़ भी देखा जिस पेड़ ने दोनों बहनों का ध्यान खींचा.

फलों की खेती (साकेतिक तस्वीर)फलों की खेती (साकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 04, 2024,
  • Updated Jun 04, 2024, 1:09 PM IST

उत्तराखंड में दो बहनें आंवला, आम और अन्य फलों की खेती के जरिए सफलता की कहानी लिख रही हैं. हालांकि उनकी राह इतनी आसान नहीं थी पर उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह सफलता अर्जित की. दोनों बहनों के लिए खेती की शुरुआत अचानक ही हुई. दरअसल कोरोना काल के दौरान दो बहनें नमिता रावत नेगी और मनीषा गोसाई ने फैसला किया की वे खेती करेंगी. उस वक्त उन दोनों के फैसले ने सभी को हैरान कर दिया. पर दोनों बहनों ने फैसला किया और अपने फैसले पर अडिग रहीं. पर सब हैरान इसलिए थे क्योंकि उन्होंने सबसे मुश्किल खेती को अपने लिए चुना था. 

दोनों बहनों की उम्र 40 वर्ष से अधिक है. उनकी खेती के फैसले को लेकर अधिकांश लोगों का मानना था कि नमिता और मनीषा कुछ महीनों तक ही खेती-बाड़ी करेंगी और फिर से अपनी पुरानी नौकरी वाली जिंदगी में वापस लौट जाएंगी. या हो सकता है कि वो अपनी जमीन बेच देंगी. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. दोनों बहनों ने खेती को चुना और इसे आगे बढ़ाने में जुट गईं. आज दोनों बहनें दून गूजबेरी फार्म का संचालन करती हैं. इसमें उनके पति लगातार उनकी मदद करते हैं. 

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कोरोना काल में शुरू की खेती

खेती की शुरुआत करने को लेकर 'द बेटर इंडिया' से बात करते हुए नमिता बताती हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान पहली बार वो देहरादून में अपनी बहन के यहां गईं. वहां उन्होंने देखा कि 10 बीघा जमीन पर सिर्फ घास और जंगली बेल लगे थे. हालांकि उस जमीन पर उन्होंने आंवले से लदा एक पेड़ भी देखा जिस पेड़ ने दोनों बहनों का ध्यान खींचा. फिर उन्होंने सोचा कि इस आंवले से लाभ कमाया जा सकता है. इसके बाद दोनों बहनों ने खेती की दुनिया में कदम रखा. हालांकि दोनों के पास किसी भी तरह की खेती का अनुभव नहीं था. 

पांच लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा

खेती में अनुभव नहीं होने के बाद भी दोनों बहनों ने खेती शुरू की और अलग-अलग स्त्रोतों से खेती के बारे में जानकारी हासिल की. नमिता कहती हैं, अब फलों की तुड़ाई करना उनके लिए परिवारिक उत्सव की तरह हो गया है. इसमें वो अपने दोस्तों को शामिल करती हैं और उनके साथ एक दिन बिताने का मौका मिलता है. वो अपने फार्म के फलों को प्रोसेस करके बेचती हैं. वो आंवला की चटनी से लेकर आंवला के आचार, आम, हल्दी, लहसुन और नींबू के उत्पाद के अलावा जैम भी बेचती हैं. इस तरह से उन्हें 5 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. पिछले वित्तीय वर्ष में उनकी कुल आय 11 लाख रुपये थी.

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फार्म में होता है मुर्गी पालन

फार्म में फलों की खेती के अलावा वो मुर्गी पालन भी करती हैं. साथ ही टमाटर, बैंगन, कद्दू, पालक, सरसों और भिंडी जैसी कई सब्ज़ियां उगाती हैं. वे आंवला , आम, हल्दी, नींबू और टमाटर से बने उत्पाद बेचती हैं. मनीषा कहती हैं, वह अपने फार्म में हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल नहीं करती हैं और ना ही कीटनाशकों का इस्तेमाल करती हैं. वह अपनी खेती में पोषण के लिए मुख्य स्रोत के रूप में जैविक अंडों के छिलके, सब्जियों के छिलके और गाय के गोबर का उपयोग करती हैं. नमिता बताती हैं कि पानी की उपलब्धता उनके लिए एक गंभीर मुद्दा है. पहाड़ी इलाका होने के कारण पानी की कमी हो जाती है. यही मुख्य कारण है कि हमारे आस-पास के कई लोग अपनी कृषि भूमि को छोड़ रहे हैं.

 

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