Success Story: गोरखपुर के इस प्रगतिशील किसान ने उगाया 21 KG का कद्दू! इस खास तकनीक से किया कमाल

Success Story: गोरखपुर के इस प्रगतिशील किसान ने उगाया 21 KG का कद्दू! इस खास तकनीक से किया कमाल

किसान रामप्रीत मौर्य ने बताया कि इसे बरसाती फल कहते हैं. बारिश में ज्यादातर लोग इसी कद्दू को खाना पसंद करते हैं. काबुली चने के साथ इसकी सब्जी बनती है. इसे काट-काट कर टुकड़ों में बेचा जाता है.

गोरखपुर जिले के एक प्रगतिशील किसान रामप्रीत मौर्य (Photo- Kisan Takगोरखपुर जिले के एक प्रगतिशील किसान रामप्रीत मौर्य (Photo- Kisan Tak
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Feb 23, 2024,
  • Updated Feb 23, 2024, 4:33 PM IST

Pumpkin Farming: कद्दू बोले या काशीफल यह एक ऐसी सब्जी है जिसे फल और सब्जी दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. इसके जायके कारण इससे व्यंजनों से लेकर कई मिठाईयां भी बनाई जाती है. इसी कड़ी में गोरखपुर जिले के एक प्रगतिशील किसान रामप्रीत मौर्य ने अपने खेत में 21 किलो का कद्दू उगाया हैं.इस अनोखे कद्दू की खासियत यह है कि इसके कई रंग होते हैं जैसे नारंगी, काला और हरा. इसके अलावा इसके आकार भी कई तरह के होते हैं जैसे गोल और लंबा. यही नहीं इसका वजन भी 18 से 21 किलो होता है. बीते दिनों लखनऊ के राजभवन में प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी में लोग इस अनोखे कद्दू को देखने के लिए दूर-दूर से आ रहे थे. कद्दू और लौकी की खेती में नाम कमाने वाले किसान रामप्रीत मौर्य कई मंचों पर सम्मानित भी हो चुके हैं

इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में रामप्रीत मौर्य ने बताया कि डंकल प्रजाति का बीज ऐसे कद्दू को उगाने में मदद करता है. उन्होंने बताया कि जब पेड़ पर 5 से 6 फल होते हैं तो कद्दू छोटा होता है और जब पेड़ पर सिर्फ दो से तीन कद्दू होते हैं तब इसका आकार बढ़ जाता है. वहीं फरवरी के महीने में इस कद्दू का बीज डाला जा चुका है. मई में यह पककर तैयार हो जाएगा. इस अनोखे कद्दू को पकने तक बहुत ध्यान रखना पड़ता है. यह खाने में मीठा ही होता है. इसकी खेती में वर्मी कम्पोस्ट खाद या केंचुआ खाद का प्रयोग किया जाता है. 

किसान रामप्रीत मौर्य ने बताया कि इसे बरसाती फल कहते हैं. बारिश में ज्यादातर लोग इसी कद्दू को खाना पसंद करते हैं. काबुली चने के साथ इसकी सब्जी बनती है. इसे काट-काट कर टुकड़ों में बेचा जाता है. कुछ लोग इसे पूरा ही खरीद लेते हैं. तब इसकी कीमत 200 से लेकर 300 रुपए के बीच होती है और जब लोग इसे किलो में लेते हैं तो उसकी कीमत 25 से लेकर 30 रुपए किलो तक होती है. नरेंद्र आभूषण किस्म का कद्दू मध्यम गोल आकार होता है, जिसपर गहरे हरे रंग के दाग होते हैं. इस किस्म के फल पकने के बाद नारंगी रंग के हो जाते हैं, जिन्हें उगाकर प्रति हेक्टेयर खेत में 400 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.

रामप्रीत ने बताया कि कद्दू की खेती गर्म और ठंडी दोनों जलवायु में की जा सकती है, लेकिन तेज धूप और पाला पड़ने पर इसकी कुछ किस्मों में नुकसान भी हो जाता है. दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती के लिये सबसे उपयुक्त रहती है. कद्दू की फसल साल में दो बार लगाई जाती है, जिसमें पहली फसल फरवरी से मार्च और दूसरी खेती जून से अगस्त के बीच होती है. मौसम के अनुसार ही इसकी अलग-अलग किस्मों को लगाया जाता है, जिसमें प्रबंधन कार्य करके अच्छी आमदनी ले सकते हैं. दस एकड़ में कद्दू की खेती करने वाले गोरखपुर के सफल किसान रामप्रीत मौर्य आज सालाना 7-8 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. 

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