मुर्गे ने बदल दी पूरे परिवार की किस्मत, एक ही झटके में करा दी 42 लाख रुपये की कमाई

मुर्गे ने बदल दी पूरे परिवार की किस्मत, एक ही झटके में करा दी 42 लाख रुपये की कमाई

ये कहानी आंध्र प्रदेश के राजू की है. कोरोना में उनके पिता का देहांत हो गया. राजू को तब परिवार चलाने के लिए किसी अच्छी नौकरी या अच्छे आइडिया की जरूरत थी. किसी के कहने पर उन्होंने अमेरिका से एक पेरुवियन मुर्गा खरीदा. उस एक मुर्गे ने राजू की कमाई को 42 लाख में पहुंचा दिया. कैसे, जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें.

पेरुवियन मुर्गे ने बदली किसान परिवार की किस्मतपेरुवियन मुर्गे ने बदली किसान परिवार की किस्मत
सुधाकर पल्लेम
  • Noida,
  • Aug 09, 2023,
  • Updated Aug 09, 2023, 1:01 PM IST

क्या आपने सोचा है कि कोई मुर्गा भी किसी को लखपति बना सकता है. वो भी कई लाख का मालिक. तो जान लीजिए कि आंध्र प्रदेश में ऐसा हुआ है. आंध्र प्रदेश के एक युवा को मुर्गे से 42 लाख रुपये की कमाई हुई है. वह भी केवल एक मुर्गे से. इस युवक का नाम है पेनमेत्सा रामा सत्यनारायण राजू. इनकी उम्र महज 32 साल है. 32 साल के राजू ने अमेरिका से 2.85 लाख में पेरुवियन मुर्गा खरीदा. उस मुर्गे से कई अन्य मुर्गे पैदा हुए और उनकी कमाई 42 लाख रुपये तक पहुंच गई. राजू बी आर आंबेडकर कोनसीमा जिले के मलिकीपुरम मंडल में बट्टेलंका गांव के रहने वाले हैं.

राजू की सबसे बड़ी बात ये है कि वे इंजीनियरिंग की डिग्री ले चुके हैं. दो साल पहले उनके साथ एक बड़ा हादसा हुआ जिसमें उनके पिता वेंकटेश्वर राजू गुजर गए. वह समय घोर कोरोना का था जिससे पूरी दुनिया जूझ रही थी. राजू के पास उस वक्त कोई नौकरी नहीं थी. पिता के देहांत के बाद राजू को लगा कि उन्हें कमाई का कोई ठोस जरिया चाहिए जिससे परिवार को गुजर-बसर हो सके. अचानक उन्हें मुर्गीपालन का आइडिया आया. किसी की सलाह पर राजू ने 2.85 लाख रुपये में अमेरिका से 2.85 लाख रुपये में पेरुवियन मुर्गा खरीदा.

मुर्गा पालन से बढ़ी कमाई

राजू चूंकि खेती-बाड़ी वाले परिवार से थे, इसलिए मुर्गापालन में कोई परेशानी नहीं आई. राजू जिस मंडल में रहते हैं, वहां इरुसुमंदा गांव में उनका 15 एकड़ का नारियल का बागान है. चूंकि इस बागान से आय बहुत कम है, रामा राजू ने देसी मुर्गे की नस्लें पालनी शुरू कर दीं और कोनसीमा के कई लोगों की तरह मकर संक्रांति के दौरान उन्हें बेचा. फिर उनके मन में एक नया विचार आया और उन्होंने अमेरिका से पेरुवियन मुर्गा खरीद लिया.  

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राजू ने जून 2020 में पेरू नस्ल का मुर्गा 1.40 लाख रुपये में खरीदा था. इसके वीजा खर्च और अतिरिक्त टिकट का भुगतान करने के बाद मुर्गे को अमेरिका से हैदराबाद के शमशाबाद हवाई अड्डे पर लाया गया. इरुसुमंदा में राजू के नारियल के बागान में मुर्गा कार से पहुंचा. इस मुर्गे को अमेरिका से अपने फार्म तक लाने में 2.85 लाख रुपये खर्च हुए. तब से रामा राजू पेरू नस्ल के इस मुर्गे (कोडी पुंजू) को पाल रहे हैं. अच्छी किस्म की घरेलू नस्लों की मुर्गियों के साथ पेरू मुर्गे की मेटिंग कराई गई और हाइब्रिड मुर्गे तैयार किए गए. आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश में संक्रांति के दौरान मुर्गों की लड़ाई में पेरू का मुर्गा सबसे पसंदीदा है.

पेरुवियन मुर्गे की खासियत

असील जैसी स्थानीय नस्लों की तुलना में पेरू के मुर्गे बहुत तेज़ होते हैं और तेजी से हमला करते हैं. हालांकि, स्थानीय नस्लें मुर्गों की लड़ाई में अधिक समय तक टिक सकती हैं. वही मादा असील और पेरुवियन मुर्गा सट्टेबाजी के शौकीनों में सबसे पसंदीदा है.

हालांकि मुर्गों की लड़ाई में लगभग 20-30 प्रकार के मुर्गों का उपयोग किया जाता है, लेकिन उनमें से पांच की सबसे अधिक मांग है. इसमें पचा, बेनाकी देगा, काकी नेमाली, सेतु और काकी देगा शामिल हैं. ये पांचों प्रजातियां अपनी भयंकर लड़ाई के लिए प्रसिद्ध हैं. जबकि पेरुवियन मुर्गा अपने आक्रामक, हमलावर स्वभाव के लिए जाना जाता है. 

दूसरी ओर, असील मुर्गा लंबी, लड़ाई के दौरान अपनी सहनशक्ति और धीरज के लिए जाना जाता है. राजू इन दोनों नस्लों के फायदों को ध्यान में रखते हुए पेरुवियन और असील पक्षियों की एक क्रॉस ब्रीड को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. राजू बताते हैं कि पक्षियों की खरीदारी, उनके विशेष आहार, साज-सज्जा सहित उनकी संपूर्ण देखभाल पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं.  

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राजू अब मुर्गियां नहीं पाल रहे हैं. वे तीन महीने के पेरुवियन चूजों को 10,000 रुपये प्रति पुललेट्स (मुर्गी) और कॉकरेल (मुर्गा) से अधिक कीमत पर बेच रहे हैं. राजू ने खुलासा किया कि इन दो वर्षों में उन्हें अब तक 41.60 लाख रुपये की आय मिली है और मुर्गों और फार्मों के रखरखाव के लिए हर महीने 25,000/- रुपये (पच्चीस हजार रुपये प्रति माह) खर्च करने के बाद उन्हें 35.60 लाख रुपये का लाभ हुआ है.

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