रोहतास के भीम करूप गांव में पिछले कई पीढ़ियों से अमेरिका के न्यूयॉर्क में रह रहे एनआरआई परिवार की महिला स्मिता मेघमाला चौबे अपने घर लौट आई हैं. उन्होंने अपने पैतृक गांव में जड़ी-बूटियों की खेती शुरू कर दी है. आपको बता दें कि न्यूयॉर्क में रहने वाली स्मिता मेघमाला चौबे अब अपने पैतृक गांव में जड़ी-बूटियों की खेती करेंगी और यहां उगाई गई जड़ी-बूटियों से आयुर्वेदिक दवाएं बनाकर अमेरिका में बेचेंगी. क्या है इनकी पूरी प्लानिंग आइए जानते हैं.
स्मिता रोहतास जिले के अकोढ़ीगोला के भीम करूप गांव की रहने वाली हैं. स्मिता चौबे ने अपने पैतृक गांव में हर्बल खेती शुरू की है. विदेशों में आज भी आयुर्वेदिक उत्पाद की मांग काफी अधिक है. जिस वजह से अब स्मिता भारत में इसे तैयार कर विदेशों में बेचने का काम शुरू किया है. स्मिता चौबे अब अपने पैतृक गांव में जड़ी-बूटियों की खेती करेंगी और यहां उगाई गई जड़ी-बूटियों से आयुर्वेदिक दवाएं बनाकर अमेरिका में बेचेंगी.
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आपको बता दें कि स्मिता न्यूयॉर्क में "वेदा-वॉरियर्स" नाम की एक कंपनी चलाती हैं, जो अमेरिका में आयुर्वेद को बढ़ावा देने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक है. यह दुनिया के अलग-अलग देशों से जड़ी-बूटियां आयात करके दवाएं बनाती है और उन्हें अमेरिकी बाज़ार में बेचती है. लेकिन इस बार स्मिता ने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां उगाने के लिए अपने पुश्तैनी गांव को चुना है. वह अपने पूरे परिवार के साथ अकोढ़ीगोला के भीम-करुप गांव पहुंची और अपनी 10 एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन पर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की खेती शुरू कर दी है.
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इस खेती में स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग लिया गया है. स्मिता बताती हैं कि उनके परदादा भैयाराम चौबे का इलाके में बड़ा नाम था. उन्होंने अपनी मेहनत से काफी अधिक संपत्ति बनाई थी. लेकिन समय के साथ पूरा परिवार अमेरिका में बस गया. ऐसे में उनके पैतृक गांव में खेती-किसानी छूट गई. अब वह अपने घर वापस लौटना चाहती हैं और अपने पूर्वजों की पुश्तैनी जमीन पर फिर से खेती करना चाहती हैं. इसके लिए वह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की मदद लेंगी. साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की खेती के लिए भी प्रोत्साहित करेंगी और इसका उत्पादन खुद खरीदेंगी जिसकी मदद से लोगों को गांव में ही रोजगार मिलेगा.(रंजन कुमार का इनपुट)