देश में अब बड़ी संख्या में किसान पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर बागवानी में रुचि ले रहे है, क्योंकि इसमें मुनाफा बहुत ज्यादा होता है. आज हम आपको ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके पास खुद की जमीन नहीं है. लेकिन, उन्होंने बागवानी से अपनी कमाई तीन गुना कर ली है. यह कहानी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के किसान देवानंद बाड़बूदे की है. देवानंद की उम्र 47 साल है और उन्होंने दो एकड़ जमीन किराए पर ली हुई है, जिसमें वे गेंदे की खेती करते हैं. इससे उन्हें सालाना प्रति एकड़ एक लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है यानी दो लाख रुपये का लाभ.
देवानंद 10वीं कक्षा तक पढ़ें हैं. बागवानी से उन्होंने न सिर्फ अपनी, बल्कि इलाके के दूसरे किसानों की भी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में मदद की. छिंदवाड़ा के पालाखेड़ के रहने वाले देवानंद बाड़बूदे ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक होने के कारण वे सब्जियों का व्यापार करने लगे. 10 साल पहले दीपावली के दौरान बाजार में उनकी मुलाकात गेंदे के फूल बेचने आए किसान से हुई. इसके बाद उन्हें लगा कि फूलों की खेती करनी चाहिए.
किसान देवानंद ने इसके बाद साल 2015 में गांव के ही एक शख्स से खेती के लिए उपयुक्त 2 एकड़ जमीन 10 हजार रुपए सालाना प्रति एकड़ के हिसाब से किराए पर ली और खेत तैयार कर गेंदे की खेती शुरू की और 3 महीने बाद ही उनकी लागत निकलने के साथ 3 गुना मुनाफा भी हो गया. तब से वे गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं.
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देवानंद ने बताया कि 3 महीने की खेती में एक एकड़ फसल से 3 टन पैदावार हासिल होती है. बाजार में इसकी औसत कीमतलगभग 60 रुपये मिलने पर कुल 1 लाख 80 हजार रुपये की इनकम होती है. इसमें से खाद-बीज कीटनाशक, मजदूरी सहित प्रति एक एकड़ 40 से 50 हजार रुपये का लागत का खर्च रहता है.
किसान देवानंद ने कहा कि छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गेंदे के फूल की अच्छी मांग रहती है. पील गेंदे की मांग ज्यादा रहती है. नारंगी को लोग कम खरीदते हैं. किसान अगर गेंदा फसल की अच्छी देखभाल करें तो प्रति एकड़ एक लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है. गेंदा सालभर फूल देने वाली फसल है.
देश में गेंदे के प्रमुख उत्पादक राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि शामिल हैं. गेंदे का इस्तेमाल मांगलिक कार्यों, पूजा आदि विभिन्न समारोहों में किया जाता है.