केंद्र की योजना से सुधरा सरगुजा की महिलाओं का जीवन, 'लखपति दीदि‍यों' ने बताई अपनी कहानी

केंद्र की योजना से सुधरा सरगुजा की महिलाओं का जीवन, 'लखपति दीदि‍यों' ने बताई अपनी कहानी

केंद्र सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चला रही है. ऐसी ही एक योजना है लखपति दीदी, जिससे छत्‍तीसगढ़ के सरगुजा की महिलाओं के जीवन में बदलाव आ रहा है. इन महिलाओं ने बताया कि वे योजना के तहत स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं हैं, जिससे उन्‍हें काफी लाभ हो रहा है.

लखपति दीदी योजना (सांकेतिक तस्वीर)लखपति दीदी योजना (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 18, 2024,
  • Updated Sep 18, 2024, 6:33 PM IST

छत्तीसगढ़ में लखपति दीदी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का दायरा बढ़ रहा है. इस योजना का असर महिलाओं के जीवन में बेहतरी के रूप में दिखाई दे रहा है. इनसे उन्‍हे आत्मनिर्भर बनने और एक-दूसरे का सहयोग करने में मदद मिल रही है. केंद्र सरकार की इस योजना के तहत सरगुजा जिले में 35,000 महिलाओं को लखपति बनाने  का लक्ष्य रखा गया है. जिले के लुंड्रा ब्‍लॉक में कई महिलाएं पहले से ही विभिन्न स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी हुई हैं, जिसका सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है.

महिलाओं की सामाजिक स्थित‍ि सुधरी

योजना के तहत भेड़ पालन, बकरी पालन, सब्जी की खेती, कबूतर पालन और मुर्गी पालन आद‍ि में सहयोग मिलता है. इन कार्यों से स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं लखपति बनने की राह पर आगे बढ़ रही हैं. स्‍वयं सहायता समूह से जुड़कर लाभ ले रही महिलाओं का कहना है कि इस योजना से उनकी सामाजिक स्थिति सुधरी है और वे अपने परिवार की बेहतर तरीके से देखभाल कर पा रही हैं. योजना की सफलता पर जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर ने कहा, "केंद्र सरकार से हमें 35 हजार लखपति दीदि‍यां बनाने का लक्ष्य मिला है, लेकिन 48 हजार घरों में सर्वे के बाद यह कहा जा सकता है कि दो से तीन साल में सभी महिलाओं को लखपति बनाया जा सकता है." 

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एक-दूसरे की मदद करती हैं महिलाएं

चंपा महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्या शोभा लकड़ा ने कहा कि समूह से जुड़ने के कई फायदे हैं. शोभा ने बताया कि वह इस योजना से जुड़कर बकरी और भेड़ पाल रही हैं. उन्‍हें समूह से जुड़ने पर सरकार की नई योजनाओं की जानकारी मिलती रहती है. समूह की महिलाएं एक-दूसरे की मदद करती हैं, जिससे सभी को फायदा होता है. समूह के जरिए महिलाओं को लोन भी मिलता है और महिलाएं सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा कमा रहीं हैं. 

शोभा ने आगे कहा कि सरगुजा ही नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण भारत में महिलाएं 'लखपति दीदी' के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिए अपनी जिंदगी बदल रही हैं. ये महिलाएं कई कामों को अपनाकर एक लाख रुपये से ज्‍यादा कमा रही हैं. झांसी में सरकारी राशन की दुकान चलाने वाली वीणा ने बताया कि जब उनकी शादी हुई तो वह सिर्फ घर के काम करती थी. एक दिन एक एनआरएलएम अधिकारी ने उन्‍हें एक स्वयं सहायता समूह से जोड़ा, जिससे उन्‍हें खाता संभालने और दुकान चलाने में मदद मिली.

कपड़ा व्‍यवसाय के लिए मिला लोन

वीणा ने कहा कि महिलाएं अब राशन लेने और सलाह लेने के लिए बाहर आती हैं. यह उन्हें अपना खुद का काम शुरू करने के लिए प्रोत्‍साहित करता है. कपड़ों की दुकान चलाने वाली हेमलता ने कहा कि उन्होंने अपने व्यवसाय को 6 लाख रुपये तक बढ़ाने के लिए 2 लाख रुपये का लोन लिया है. उन्होंने सरकार और पीएम मोदी का आभार जताया. वहीं, विद्युत सखी शीला सिंह बिल जमा करके 15,000-20,000 रुपये महीना कमाती हैं और बैंकर सखी मनीषा यादव अब 1,200 रुपये से बढ़कर 4,000 रुपये कमाती हैं. उन्‍हें महिलाओं को लखपति दीदी बनते देखकर बहुत खुशी हो रही है.

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