यूपी में अनुपजाऊ एवं असिंचित जमीनों पर किसानों को बागवानी फसलें लगाने के लिए सरकार लगातार प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने किसानों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने वाली योजनाएं शुरू की हैं. इनमें किसानों को वित्तीय सहायता के साथ तकनीकी प्रशिक्षण एवं उत्पादों की बिक्री के लिए उपयुक्त बाजार भी मुहैया कराने की सुविधाएं दी जा रही हैं. उद्यान विभाग के उपनिदेशक विनय यादव ने बताया कि सरकार का फोकस पानी की कमी वाले बुंदेलखंड सहित उन इलाकों में उद्यमशील युवा किसानों को हाईटेक नर्सरी से लेकर पॉली हाऊस लगाने तक के लिए तकनीकी एवं वित्तीय सहायता मुहैया कराने पर है. उन्होंने बताया कि इसका मकसद बुंदेलखंड सहित पानी की कमी वाले इलाकों में बहुत ज्यादा पानी की खपत वाली गेहूं और धान जैसी फसलों से किसानों का मोहभंग कर बागवानी की ओर रुख करना है.
यादव ने बताया कि शिक्षित एवं प्रगतिशील युवा किसानों को संरक्षित खेती के दायरे में आने वाली हाईटेक नर्सरी से लेकर पॉली हाऊस लगाने तक के लिए उद्यान विभाग ने हर संभव सहायता देने के लिए बागवानी मिशन शुरू किया है. इसके तहत चल रही योजनाओं में संरक्षित खेती से जुड़ी मसालों की फसलें लगाने, फलों एवं फूलों के बाग लगाने, बागवानी में मशीनीकरण करने, फल, फूल और सब्जियों की उपज के बाद संरक्षण करने (पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट) के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. युवा किसान उद्यान विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराकर इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं.
ये भी पढ़ें- Rajasthan: इस पोर्टल पर मौजूद हैं खेती-बाड़ी की सभी योजनाएं,10 लाख किसानों ने लिया लाभ
उद्यान विभाग ने रोपण सामग्री के उत्पादन का कार्यक्रम शुरू किया है. इसके तहत 1 करोड़ रुपये तक की लागत वाली हाईटेक नर्सरी लगाई जा सकती है. यह योजना तकनीकी कौशल की समझ रखने वाले युवा उद्यमी किसानों के लिए लाभकारी है. इसमें 4 हेक्टेयर तक की जोत वाले किसानों को कम से कम 1 करोड़ रुपये तक की लागत वाली हाईटेक नर्सरी लगाने के लिए 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. इस योजना के लिए लाभार्थी को बैंक से लोन दिलवाने एवं अन्य तकनीकी सहायता भी विभाग द्वारा मुहैया कराई जाती है. इसके लिए विभाग ने अलग से बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों काे हर जिले में तैनात किया है.
उन्हेांने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जो किसान छोटी नर्सरी लगाना चाहते हैं, उन्हें कुल लागत की 50 प्रतिशत तक सब्सिडी विभाग द्वारा दी जाती है. छोटी नर्सरी लगाने के लिए लाभार्थी को 1 हेक्टेयर जमीन पर 15 लाख रुपये तक की लागत वाली हाईटेक नर्सरी लगाने के लिए 7.5 लाख रुपये की सब्सिडी मिलती है.
रोपण सामग्री के उत्पादन कार्यक्रम के तहत खेती किसानी की पढ़ाई करने वाले उद्यमशील युवाओं को विभाग ने टिश्यू कल्चर लैब से बागवानी फसलों की पौध का कारोबार करने का विकल्प मुहैया कराया है. इसके तहत उद्यमी किसान 2.5 करोड़ रुपये की लागत वाली टिश्यू कल्चर लैब स्थापित कर सकते हैं. ऐसे किसानों को विभाग द्वारा लागत का 40 प्रतिशत एवं अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है. किसान को 1.5 करोड़ रुपये की बकाया राशि का इंतजाम अपने स्रोतों से करना होता है. इसमें बैंक से लोन लेने का विकल्प भी उपलब्ध रहता है.
इसके साथ ही विभाग द्वारा छोटे किसानों को शाकभाजी, आलू एवं मसालों के बीज की उत्पादन इकाई लगाने के लिए लागत का 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. इसके लिए 1 हेक्टेयर में 35 हजार रुपये की लागत वाली बीज उत्पादन इकाई लगाने पर अधिकतम 12500 रुपये का अनुदान मिलता है. छोटे एवं उद्यमी किसान इसका लाभ उठा सकते हैं.
उद्यान विभाग बेमौसमी सब्जियों तथा हाईवैल्यू फूलों की संरक्षित ढांचे में खेती करने वाले किसानों को ग्रीन हाऊस या शेड नेट हाऊस लगाने के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है. इसके लिए ग्रीन हाऊस या शेड नेट हाऊस की लागत 710 रुपये से लेकर 1650 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक होना चाहिए. एक लाभार्थी को 500 से 4000 वर्ग मीटर तक के आकार की यूनिट पर ही सब्सिडी मिलती है. इसी प्रकार मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी उपकरणों के साथ 2.20 लाख रुपये तक की यूनिट लगाने पर 88 हजार रुपये (40 प्रतिशत) की सब्सिडी दी जा रही है.
ये भी पढ़ें- UP : मोबाइल वैन में बिकेंगी मिलेट्स, युवाओं के जुड़ने का अच्छा मौका
ये भी पढ़ें- Video: देश में तेजी से बढ़ रहा टर्की पालन का क्रेज, जानें कितना फायदा