यूपी में कृषि विभाग द्वारा भूमि संरक्षण विभाग के सहयोग से खेत तालाब योजना को संचालित किया जा रहा है. भूजल संरक्षण यानी Ground Water Conservation के लिहाज से बेहद कारगर साबित हो रही यह योजना पानी के अभाव वाले बुंदेलखंड जैसे इलाकों में किसानों और कुदरत के लिए वरदान बन गई है. मगर, भ्रष्टाचार के दीमक ने इस योजना को भी नहीं छोड़ा है. बुंदेलखंड के जालौन जिले में किसानों की जमीन के बजाय कथित रूप से कागजों पर ही तालाब खोदने का मामला उजागर हुआ है. हैरत की बात यह है कि कागजों पर खोदे गए तालाबों की संख्या 2-4 नहीं, बल्कि एक हजार से ज्यादा है. जमीन का संरक्षण करने की जिम्मेदारी निभा रहे भूमि संरक्षण विभाग के अफसरों ने किसानों की मिलीभगत से यह कारनामा कर दिखाया. सरकार के सूत्रों की मानें तो जांच के दायरे में आए ऐसे तालाबों की संख्या 1536 बताई गई है. जालौन की जिलाधिकारी ने यह मामला उजागर होने के बाद इसकी प्रारंभिक जांच की. जांच में मिले तथ्यों के आधार पर मामले को सही बताते हुए जिलाधिकारी ने शासन को संबद्ध अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई करने की संस्तुति भी कर दी. इस पर संज्ञान लेते हुए कृषि विभाग ने 3 अफसरों को तत्काल विभागीय जिम्मेदारी से मुक्त कर लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया है.
कृषि विभाग की ओर से जारी बयान में भूमि संरक्षण विभाग के तीन अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि जालौन में तैनात भूमि संरक्षण अधिकारी परितोष मिश्रा, शहाबुद्दीन और भीमसेन को अपने दायित्व निर्वहन में अनियमितता बरतने के आरोप में मौजूदा पद से हटाकर कृषि विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय से अटैच किया गया है.
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सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अनियमितता करने वाले 3 भूमि संरक्षण अधिकारियों को जालौन से हटाकर लखनऊ में कृषि मुख्यालय से संबद्ध करने का आदेश दिया है.
विभाग ने स्पष्ट किया कि जालौन की जिलाधिकारी ने जिन 8 भूमि संरक्षण अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है उनमें से 05 अधिकारी पूर्व में ही जनपद जालौन से स्थानांतरित किए जा चुके हैं. परितोष मिश्रा की जगह दूसरे अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी को तैनात किया गया है. लिहाजा मिश्रा के साथ शेष 02 भूमि संरक्षण अधिकारियों शहाबुद्दीन और भीमसेन को लखनऊ में कृषि भवन स्थित कृषि मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है.
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किसानों को सिंचाई की सुविधा से लैस करने के लिए शुरू की गई खेत तालाब योजना बुंदेलखंड जैसे सूखा प्रभावित इलाकों में बेहद कारगर साबित हुई है. इसमें किसानों के खेत पर दो श्रेणी (20X25 मीटर एवं 30X35 मीटर) के तालाब बनाए जाते हैं. तालाब के निर्माण में खर्च होने वाली लागत का 50 प्रतिशत व्यय राज्य सरकार वहन करती है. इस मद में किसानों को 68 हजार रुपये से लेकर 1.15 लाख रुपये तक अनुदान के रूप में मिलते हैं.
किसानों को तालाब बनवाने का दोहरा लाभ होता है. पहला वर्षा जल संचय कर सिंचाई सुविधा और दूसरा मछली पालन से आय में इजाफे का लाभ मिलता है. इसके अलावा भूजल संरक्षण का मकसद भी पूरा होने से पर्यावरण का लाभ होता है. एक अनुमान के मुताबिक बांदा चित्रकूट मंडल में यह योजना इस कदर कामयाब रही कि इलाके में हजारों तालाब बनने से भूजल स्तर में 5 से 10 फीट तक का इजाफा होने की बात सामने आई है.