'मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना' की अवधि को 4 साल आगे बढ़ाने के लिए यूपी सरकार ने मंजूरी दे दी है. राज्य के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मछली पालक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि, सरकार की ओर से अभी मछली पालन को कृषि कार्य की श्रेणी में शामिल करने और राजस्व वसूली संबंधी नियमों में संशोधनों के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है. मौजूदा व्यवस्था में मछली पालकों से बिजली का बिल व्यवसायिक दर पर वसूला जाता है. इसकी वजह एक मामूली सी तकनीकी कमी है. इसके तहत अभी तक मछली पालन को कृषि कार्य की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सका है. इसी तरह मछली पालकों से तालाब के पट्टे का अगले 10 साल का एडवांस लगान वसूला जाता है और बाढ़ में तालाब की मछली बह जाने पर मछली पालकाें को मुआवजा भी नहीं मिलता है. मछली पालकों की ये तीन मांगें पिछले कई सालों से लंबित हैं.
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डॉ निषाद ने बताया कि इस योजना के तहत ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों के पट्टाधारकों को अनुदान पर मछली पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. शासन ने इस योजना को वित्तीय वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-2027 तक के लिए मंजूरी दी है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक व्यक्ति आगामी 16 फरवरी तक कर आवेदन सकते हैं. आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है.
डॉ. निषाद ने बताया कि इस योजना का मकसद मछली पालकों के जीवन यापन को बेहतर बनाने एवं विकास की मुख्यधारा में उन्हें शामिल करते हुए उत्पादन, राजस्व वृद्धि एवं रोजगार उपलब्ध कराना है. योजना के नियम एवं शर्तों के बारे में उन्होंने बताया कि इस योजना में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित ऐसे तालाबों में किए जा रहे मछली पालन को शामिल किया गया है, जिनका सुधार मनरेगा कन्वर्जेन्स अथवा पट्टाधारक द्वारा स्वयं या अन्य विभागों के माध्यम से किया गया हो.
इसके तहत मछली पालन के लिए पहले साल की लागत में मछली का बीज, पूरक आहार, तालाब में पानी भरने के संसाधन, दवाएं और जाल आदि के खरीदारी पर सरकार अनुदान देती है. इस योजना के तहत अनुदान के दायरे में तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की स्थापना को भी शामिल किया गया है.
आवेदक की कुल परियोजना लागत 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए. इस लागत का 40 प्रतिशत अर्थात 1.60 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा. लागत का 60 प्रतिशत खर्च लाभार्थी को स्वयं देना पड़ेगा. एक आवेदक को अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र में मछली पालन के लिए अनुदान मिलता है. स्पष्ट है कि इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 3.20 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा. लाभार्थियों का चयन मत्स्य निदेशालय द्वारा आवंटित लक्ष्य की सीमा तक किया जायेगा.
डॉ निषाद ने बताया कि ऐसे सभी पट्टाधारक जिनके पट्टे की अवधि न्यूनतम 4 साल बची हो, वे इस योजना में विभागीय वेबसाइट पर आगामी 16 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि आनलाइन आवेदन करते समय आवेदक को अपना फोटो, आधार कार्ड, पट्टा अभिलेख, स्वहस्ताक्षरित शपथ-पत्र, बैंक खाता विवरण आदि अपलोड करना अनिवार्य होगा. योजना के बारे में अन्य विस्तृत विवरण विभाग की वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं.
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