
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की बात करें तो यूपी आज देश में सबसे बड़े महिला स्वयं सहायता समूह नेटवर्क के रूप में उभर रहा है. प्रदेश में लाखों महिलाएं आज स्वयं सहायता समूहों के जरिए उद्यमिता की ओर बढ़ रही हैं. बैंक सखी, बीसी सखी और कृषि सखी जैसे मॉडल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए कमाई का एक बड़ा जरिया बनता जा रहा हैं. वहीं बैंकिंग सेवाओं में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ग्रामीण बैंकिंग को नए स्तर पर पहुंचा रही है।
जबकि ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना) ने महिलाओं को स्थानीय उत्पादों पर आधारित रोजगार से जोड़ने का मजबूत अवसर दिया है. हथकरघा, हस्तशिल्प, फूड प्रोसेसिंग और स्थानीय उद्योगों में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. योगी सरकार की ओर से आसान ऋण, प्रशिक्षण, मार्केट लिंक और डिजिटल प्लेटफॉर्म का सहयोग मिलने से महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं.
उप्र कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, स्टार्टअप नीति के अंतर्गत महिला उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है. वहीं महिला आधारित स्टार्टअप को अनुदान और मार्गदर्शन मिलने से टेक्नोलॉजी आधारित उद्यमों में भी उनकी भागीदारी बढ़ी है. प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों के जरिए पोषण उपक्रम, यूनिफॉर्म निर्माण, समुदाय आधारित स्वच्छता सेवाएं और स्थानीय उत्पादन यूनिट्स चलाने वाली महिलाओं ने साबित किया है कि आर्थिक सशक्तिकरण ग्रामीण विकास को भी गति देता है.
सरकारी योजनाओं के प्रभाव से आज गांवों से लेकर शहरों तक महिलाओं की भूमिका केवल पारिवारिक सीमाओं तक ही केंद्रित नहीं हैं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों में उनकी जिम्मेदारी, भूमिका और सक्रियता निरंतर बढ़ रही है. योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों ने महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और अवसर प्रदान कर समाज में उनकी स्थिति को पहले से अधिक सशक्त बनाया है.
उत्तर प्रदेश का यह परिवर्तन प्रदेश सरकार नीतियों और प्रयासों का परिणाम है. जिसने महिलाओं को नई ऊर्जा और नई दिशा दी है. प्रदेश अब वास्तविक अर्थों में महिला सशक्तिकरण को सामाजिक और आर्थिक विकास की धुरी बनाने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है.
अयोध्या जिले के मसौधा ब्लॉक के ग्राम पंचायत हाजीपुर सिंहपुर में महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल बन रहा है. अवधपुरी महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य क्रांति दीदी ने सीसीएल से 50,000 रुपये का ऋण लिया है। इस ऋण से उन्होंने अपनी आजीविका में वृद्धि की है. इसके माध्यम से महिलाओं को रोजगार देने के प्रयास किए जा रहे हैं. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को ऋण और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं. इससे वे अपनी आजीविका में सुधार कर रही हैं.
1- उत्तर प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या 2025 तक लगभग 95 लाख सदस्यों तक पहुंच गई है.
2- सभी ग्राम पंचायतों में बीसी सखियों की तैनाती की गई है. वित्तीय समावेशन और महिला सशक्तिकरण को गति देने वाले इस प्रयास के अंतर्गत बीसी सखियों ने लगभग 32 हजार करोड़ रुपए से अधिक का वित्तीय लेनदेन किया है.
3- ओडीओपी योजना में महिलाओं की भागीदारी 2018 की तुलना में 2024 तक लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. विशेष रूप से यह वृद्धि हस्तशिल्प, हथकरघा, फूड प्रोसेसिंग और वुडक्राफ्ट क्षेत्रों में दर्ज हुई है.
4- महिला उद्यमिता मिशन और स्टार्टअप नीति के अंतर्गत 2025 तक लगभग 3200 से अधिक महिला संचालित स्टार्टअप रजिस्टर्ड हुए हैं.
5- बीते साढ़े 8 वर्षों में श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी 14 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है.
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