उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत अब घर-घर जाकर महिलाएं पीने वाले जल की गुणवत्ता की जांच कर रही है . दूषित जल पीने से हर साल लाखों लोग बीमार होते हैं. वही उनका पैसा और समय दोनों ही नुकसान होता है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का उद्देश्य है की घरों तक पहुंचने वाला पीने का पानी स्वच्छ और निर्मल हो. इसलिए पूरे प्रदेश में जल सखियों की तैनाती की गई है. प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर 5 महिलाओं को जल सखी (Jal sakhi) नाम दिया गया है. इन्हें जल की गुणवत्ता की जांच करने की ट्रेनिंग भी दी गई है. जल सखी कहलाने वाली महिलाएं जहां दूसरों को दूषित जल पीने से बचाने का काम करेंगी वही प्रति जल जांच ₹20 की निर्धारित प्रोत्साहन राशि की बदौलत आत्मनिर्भर और स्वावलंबी भी बन सकेंगी .
उत्तर प्रदेश के लखनऊ के माल क्षेत्र की रहने वाली आरती और प्रीति फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से जल की गुणवत्ता की जांच करने की ट्रेनिंग मिल चुकी है. अब ये दोनों महिलाएं अपने गांव में जल की गुणवत्ता की जांच करके दूसरे परिवारों को स्वच्छ पेयजल पीने की सीख दे रही है. आरती बताती हैं कि वह हर घर से जल के नमूनों को लेकर उनके सामने ही फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से उनकी पेयजल में आयरन, कैल्शियम और फ्लोराइड की जांच करती है. अगर पानी पीने लायक है तो इसका प्रमाण भी वह खुद देती है. जल सखी प्रीति का कहना है कि उन्हें सरकार ने एक बड़ी जिम्मेदारी दी है. स्वच्छ जल पीना हर व्यक्ति का अधिकार है. वही स्वच्छ जल के माध्यम से ही हम स्वस्थ रह सकते हैं क्योंकि पीने का पानी ही अगर दूषित होगा तो कई ऐसी बीमारियां हो सकती है. इसलिए हमारा उद्देश्य है कि हर घर के जल की जांच कर के लोगों को पीने के पानी की शुद्धता के प्रति जागरूक करें. पीने के पानी में फ्लोराइड के होने से दांत पीले पड़ जाते हैं वही हड्डियां कमजोर हो जाती हैं इसलिए फ्लोराइड युक्त जल की जांच करके लोगों से इस पानी को पीने से मना करती हैं.
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 4.8 लाख से ज्यादा जल्द सखी की तैनाती की गई है. प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर उत्तर प्रदेश में 5 महिलाओं को जल सखी के रूप में नियुक्त किया गया है. यह महिलाएं गांव के जल स्रोतों की एफटीके किट के माध्यम से जांच करेंगी. वहीं महिलाओं को प्रत्येक जांच पर ₹20 की प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी जल निगम के तहत किया जाएगा. इस योजना का उद्देश्य है कि गांव में जल की गुणवत्ता में सुधार हो और लोग स्वच्छ और निर्मल जल का उपयोग करके स्वस्थ रहें. वही जल की जांच करने के बदले ₹20 की प्रोत्साहन राशि से हर महिला को प्रतिदिन 400 से ₹500 तक कमाई हो जाती है जिससे उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने में मदद मिल रही है.
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