शाही ने रविवार को झांसी में पहले 'बुंदेलखंड किसान मेला' का उद्घाटन करते हुए कहा कि मिट्टी की सेहत का पता लगाने के लिए किसान 'स्वाइल हेल्थ कार्ड' हो या 'सोलर पंप योजना' हो, किसानों तक इन योजनाओं का लाभ पूरी तरह से नहीं पहुंच पाया है. उन्होंने बाकायदा उदाहरण देकर इसकी वजह भी बताई. शाही ने कहा कि हाल ही में मऊ जिले में उन्होंने एक किसानों के सम्मेलन में स्वाइल हेल्थ कार्ड के बारे में पूछा तो महज एक किसान बता पाया कि उसके पास यह कार्ड है. शाही ने कहा कि इसी तरह सरकार का पूरा जोर किसानों को अन्नदाता से ऊर्जादाता बनाने पर है. इसके लिए सरकार पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को 60 प्रतिशत अनुदान पर सोलर पंप दे रही है.
उन्होंने कहा कि मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि योजना के लिए चयनित होने के बाद भी किसान जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं कर रहे हैं. इससे सरकारी योजनाओं की प्रतीक्षा सूची के दूसरे किसान भी लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं. शाही ने बेबाकी से स्वीकार किया इतनी अच्छी योजनाओं का लाभ पूरी तरह से किसानों तक नहीं पहुंच पाने की दो ही वजहें है, पहला सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही और किसानों में जागरूकता का अभाव होना.
शाही ने किसान मेले में भी स्वाइल हेल्थ कार्ड के बारे में पूछा. पंडाल में मौजूद दर्जन भर से ज्यादा किसानों ने हाथ खड़ा करके बताया कि उनके पास यह कार्ड है. कृषि मंत्री ने इस पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि जिस बुंदेलखंड इलाके को पिछड़ा बताया जाता है, वहां के किसान, प्रदेश के अन्य इलाकों की तुलना में हितकारी योजनाओं का लाभ उठाने में आगे हैं.
शाही ने कहा कि बुंदेलखंड में ऊसर जमीन की समस्या ज्यादा है. इसके लिए सरकार ढेंचा घास का बीज किसानों को वितरित करती है. विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बुंदेलखंड के किसान इस घास को लगा कर अपनी ऊसर जमीन को उपजाऊ बनाने में अन्य इलाकों से आगे हैं. उन्हाेंने कहा कि इसी तरह सोलर और खेत तालाब योजना के मामले में भी बुंदेलखंड का रिकॉर्ड बेहतर है.
शाही ने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक खेती और मोटे अनाजों की खेती को यूपी में बढ़ावा देने की मुहिम तेज कर दी है. इस कड़ी में बुंदेलखंड के 7 जिलों में प्राकृतिक खेती के हर विकासखंड में क्लस्टर बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि महज दो महीनों में ही इस इलाके के किसानों ने 200 से ज्यादा क्लस्टर बना लिए हैं. इससे उत्साहित होकर सरकार ने झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के तकनीकी सहयोग से यहां कृषि मेला आयोजित किया है. उन्होंने इलाके के किसानों से इस मेले में कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पेश की गई खेती की आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने की अपील की.
शाही ने कहा कि कुछ समय पहले वह मुंबई में आयोजित एक सम्मेलन में शरीक हुए थे. इस सम्मेलन में उन्होंने प्रदेश सरकार की खेत तालाब योजना की बुंदेलखंड इलाके में कामयाबी का जिक्र किया. इससे प्रभावित होकर मध्य प्रदेश सरकार ने उनसे खेत तालाब योजना को एमपी में भी लागू करने में सहयोग की मांग थी.
उन्होंने कहा कि इस पर विचार करने के बाद सरकारी योजनाओं और तकनीकी सहयोग को एक दूसरे से साझा करने की कार्ययोजना बनी. इसके फलस्वरूप ही यूपी और एमपी में फैले समूचे बुंदेलखंड के किसानों को तकनीकी सपोर्ट प्रदान करने के लिए झांसी में किसान मेला आयोजित करने की योजना को आज फलीभूत किया गया है.
गौरतलब है कि समूचे बुंदेलखंड में यूपी और एमपी के 7 - 7 जिले शामिल हैं. शाही ने कहा कि दोनों पड़ोसी राज्यों के किसानों को कृषि क्षेत्र में एक दूसरे के अनुभव एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय में 2 दिन तक चलने वाले किसान मेले का आयोजन किया गया है.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कृषि क्षेत्र की आधुनिकतम तकनीक से किसानों को परिचित कराने के लिए यह मेला आयोजित किया गया है. खेती में ड्रोन तकनीक से लेकर अत्याधुनिक यंत्रों के इस्तेमाल से किसानों को अवगत कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि मेले के दूसरे दिन सोमवार को किसानों को इन यंत्रों का व्यवहारिक उपयोग करके बताया जाएगा. साथ ही उन किसानों को भी मेले में बुलाया गया है जो इन यंत्रों का खेतों में प्रयोग करके खेती को आसान बना रहे हैं.
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